7वीं पास Godavari Dange ने आत्मविश्वास के बलबूते रचा इतिहास
पंद्रह साल की उम्र में Godavari Dange की शादी कर दी गई। चार साल ही बीते थे कि वो विधवा हो गई। कुछ दिनों तक ससुराल में रहने के बाद वो अपने दोनों बच्चों को लेकर उस्मानाबाद जिले के गंधारा गांव में अपने मायके वापस आ गई। उस वक्त उनका बड़ा बेटा साढ़े चार साल का और छोटा वाला मुश्किल से एक साल का था। उनके सामने न सिर्फ अपने अस्तित्व की चुनौती थी, बल्कि उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की फिक्र भी थी।
जल्द शादी होने की वजह से Godavari Dange सिर्फ सातवीं क्लास तक पढ़ सकी थी। कम पढ़ी-लिखी होने के कारण कोई नौकरी हासिल कर पाना भी आसान नहीं था। उस वक्त बस के सामने हाथ हिलाकर उसे रोकना भी उनके लिए चुनौती था। उन्हें ये डर था कि अगर उनके रोकने पर भी बस नहीं रुकी, तो आसपास के लोग उन पर हंसेंगे।
साल 2000 की बात होगी, जब पहली बार Godavari की मां ने उन्हें एक self help group से मिलवाया| शुरुआत में वो उस ग्रूप की मीटिंग्स में बस चुपचाप बैठी रहती। धीरे-धीरे ग्रूप की गतिविधियों में उनकी दिलचस्पी बढ़ती गई। कुछ तो दूसरों की सलाह, तो कुछ अपने बढ़े आत्मविश्वास के दम पर उन्होनें जल्द ही स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता और आजीविका जैसे कई विषयों में विशेषज्ञता हासिल कर ली।
अब उनका सामाजिक दायरा बढ़ चुका था और अपने नेतृत्व कौशल के दम पर उन्होनें खुद के तीन ग्रूप शुरू कर दिए। जिस संस्थान के लिए Godavari Dange काम करती थी, उसे उनकी काबिलियत का अंदाजा हुआ। नतीजतन उन्हें संस्था के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मुखिया बना दिया गया। और अगले कुछ समय तक उनका काम-धाम ऐसे ही चलता रहा।
उनकी जिंदगी में बड़ा मोड़ तब आया, जब एक फेडरेशन में उन्हें सचिव बनाया गया। अपनी योग्यता के दम पर बहुत जल्द ही उन्होनें फेडरेशन की कमाई में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कराई। फेडरेशन का कार्य क्षेत्र सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि गुजरात और तमिलनाडु तक फैला था। उन्होनें एक साथ कई राज्यों की महिलाओं के साथ काम किया। चंद सालों तक काम करने के बाद उनका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। कभी बस रुकवाते हुए झिझकने वाली Godavari Dange हर दिन हजारों महिलाओं की समस्याओं का समाधान निकालने में जुटी रहती! उनके काम के बारे में दूसरे लोगों को जानकारी हुई, तो कई जगह से उन्हें इन्विटेशन मिले।
लोग self help group, विशेषकर women’s empowerment के मामले में उनकी सफलता से प्रभावित थे और उनकी कार्यप्रणाली (methodology) के बारे में जानना चाहते थे। काम करने का उनका तरीका बहुत साफ है, जैसे यदि कोई महिला किसान अपनी गाय के लिए चारा खरीदना चाहती है, तो कोई भी बैंक इस काम के लिए उसे कर्ज नहीं देगा। ऐसे ही अगर किसी के पास जमीन नहीं है, तो वहां भी बैंक वाले हाथ खड़े कर लेते हैं। Godavari Dange का काम यहीं से शुरू होता है।
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