मुंबई में टैक्सी चलाने वाले Natha ने बदल दी जयगांव की काया
हम सब एक बड़े शहर में ‘better life‘ जीने का सपना देखते हैं| कुछ लोग उस सपने को सच बनाने के लिए कई जगह भी जाते हैं। लेकिन Natha Kadam जैसे लोग भी हैं जो ‘better life‘ की खोज में गये, लेकिन वापस आ गये और सबकी ज़िंदगियाँ बदल दीं|
टैंकर के पानी से काम चलाने वाले जयगांव जैसे गाँव को drought-proof (24*7 water supply) में बदलने के लिए primary credit Subhash Kadam या Natha ji को जाता है।
Natha सिर्फ़ चार साल के थे, जब उनके पिता का निधन हो गया था। एक बच्चे के रूप में, वो हमेशा अपने परिवार की मदद के लिए उत्सुक रहते थे| Natha ने अपनी मां और बहन का सपोर्ट करने के लिए जयगांव में अथक रूप से काम किया।
Natha ने गांव के अपने ज़्यादातर दोस्तों की तरह, सपनों की नगरी मुंबई जाने के लिए 18 साल में गाँव छोड़ दिया और ट्रैवल एजेंसियों के लिए कारों, बसों, टूरिंग कारों को चलाया। वो अपनी बहन की शादी करने के लिए पैसे बचाने की कोशिश कर रहे थे|
शहर में, Natha ने 2007 में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा ‘Happiness program’ किया और बाद में Youth Leadership Training Program (YLTP) attend किया, जिसने Natha की ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया| उन्होनें बताया कि कार्यक्रम ने उनसे ऐसे questions पूछे, जिसने दैनिक संघर्ष के साथ जीवन जीने से भी आगे चले गये|
Natha ने सूत्रों से कहा कि लगभग हर कोई अपने और अपने परिवार की देखभाल करने के लिए जीता है। उन लोगों के साथ क्या होता है जो खुद का ख्याल नहीं रख सकते हैं और जिनकी मदद के लिए कोई भी नहीं है? किसी को तो struggling लोगों तक पहुंचना पड़ेगा|
वो 23 साल के थे जब “अब नहीं तो कब (If not now then when)?” का विचार उन्हें आया| उन्होंने सोचा कि अगर perfectly-abled youth बड़े शहरों में migrate करना जारी रखेंगे तो उनके गांवों की condition सिर्फ़ दिन-ब-दिन खराब होती जाएगी।
यह समझने के बाद कि उन्होंने अपने गांव को ‘बेहतर जीवन’ के लिए छोड़ दिया था, Natha अपने लोगों को ‘बेहतर जीवन’ देने के लिए वापस जयगांव लौट आए|
हालांकि, उनके वापिस आने पर, Natha को paperwork filing जैसे लंबे process के बारे में पता चला| Natha, जो गांव में toilets बनाने की मांग भी कर रहे थे, ने महसूस किया कि अगर funds माँगने में इतना ज़्यादा टाइम चाहिए, तो उनके पूरे गांव में toilets बनाने में तो कई साल लग जाएँगे| और उससे भी ज़्यादा गाँव में पानी की कमी का मामला भी था।
Natha ने फैसला किया कि चीजों को तेज करने के लिए, उन्हें एक figure of authority बनना पड़ेगा| उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया और वो 32 साल में जयगांव के सरपंच बन गये|
जयगांव की पानी की स्थिति इतनी खराब थी कि दिवाली के त्योहार के बाद उन्हें पानी के टैंकों पर depend रहना पड़ता था|
उन्होंने Art of Living’s River Rejuvenation Project के साथ मिलकर, पानी की कमी के भारी मुद्दे को दूर किया| Natha, जो अब आर्ट ऑफ लिविंग टीचर के रूप में काम करते हैं, ने गाँव वालों में spiritual empowerment के ज़रिए sense of service और ownership को फिर से लाने के लिए community building workshops की एक series को organized किया|
बाद में, नाथा ने ‘Stop the Water, Save The Water’ अभियान शुरू किया, जहां ग्रामीणों ने ‘lift irrigation’ जैसी techniques और boulder dams और अन्य structures के बनने से उन्हें पानी बचाने में कैसे मदद मिल सकती है और पानी को बाकी sources तक electric pumps की मदद से directly कैसे पहुँचाया जा सकता है सीखा|
ग्रामीणों और volunteers द्वारा किए गए काम तब results दिखाने लगे, जब जयगांव को river rejuvenation के लिए किए गए सबसे महत्वपूर्ण प्रयासों के लिए 2017 में Satyamev Jayate Water Cup में पहला prize मिला|
आज, Natha जयगांव को एक आदर्श गाँव में बदलने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं। Natha ने अपने बालों और दाढ़ी को तब तक नहीं काटने का फैसला किया है जब तक कि उनका गांव पूरी तरह से ऐसे समुदाय में नहीं बदलता जो समृद्ध और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो|
लेकिन Natha के लिए, ये सिर्फ़ शुरुआत है। उनकी self-awareness ने उन्हें सिखाया है कि चीजें एक दिन में नहीं बदलती हैं| ऐसा करने के लिए इसे एक determined इंसान और एक गांव की ज़रूरत होती है।
(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )