Lattur गाँव के बदलाव की कहानी है बहुत ही प्रेरणादायक
समाज की बेहतरी के लिए, लोगो के उत्थान के लिए, उन्हे बुराइयों के जाल से बाहर ला कर एक अच्छा, सच्चा, सजग और नेक नागरिक बनाने के लिए कुछ चीजों की आवश्यकता पड़ती ही पड़ती है।
ये चीज़ें हैं, बदलाव, शिक्षा, अच्छे और बुरे के बीच के भेद की समझ और अपने अंदर एक दृढ़ निश्चय का होना की हमें खुद को बुराइयों से परे हटा कर अच्छाई के रास्ते को अपनाना है और अपनी बेहतरी की तरफ कदम बढ़ाना है। कुछ ऐसा ही जज़्बा, समझ और रवैया अपनाया है Lattur गाँव के लोगों ने भी, जिनके बारे में हम आपको आज बताने वाले हैं।
तमिलनाडु के कांचीपुरम में है ये गाँव, लत्तूर (Lattur)। अब जिस बदलाव की बात हम कर रहे हैं, उसकी शुरुवात हुई थी सालों पहले। अगर ठीक-ठीक बताएं तो यही कुछ 30 साल पहले। 10 साल के बच्चों के एक समूह ने अपने शाम के खेलने के वक़्त में इस बदलाव के बीज सींच दिये थे। दरअसल इन बच्चों ने किया ये कि इन्होंने नाम बदलना शुरू कर दिया। अपना या अपने घर मे से किसी का नहीं, बल्कि गाँव की गलियों का। सुनने में भले ही अटपटा सा लगता हो, मगर सच है। जिन गलियों के नाम सुन कर पहले आपको वहाँ रहने वाले जाती के लोगों कि सूचना मिल जाती थी, उन नामों की जगह अब समाज सुधारकों के नामों ने ले ली। ये बात ध्यान में रखिएगा कि यह सब संभव किया 10 साल के बच्चों के एक समूह ने।
बचपने में ही सही, ये बच्चे कितने बड़े बदलाव कि तरफ कदम बढ़ा रहे थे, इसका अंदाज़ा किसी को भी नहीं था। जब इन बच्चों की उम्र संभली, तब उन्हे एहसास हुआ कि उन्होने कितना बड़ा काम कर दिया था। अब वो कहते हैं ना, नेक काम की शुरुवात को अंजाम तक ज़रूर पहुँचाना चाहिए। बस फिर, इसी बात से प्रेरित होकर इनही बच्चों ने आगे चल कर Netaji Welfare Movement (NWM) कि शुरुआत कर दी। आज इनके मूवमेंट कि ही दें है कि Lattur ने एक जूझते हुए, शराब की लत मे डूबे हुए गाँव से बढ़कर अपनी एक साफ छवि लोगों की नज़रों में बनाई है। बदलाव का आलम तो ये है कि गाँव में ही अब एक कम्यूनिटी लर्निंग सेंटर एवं लाइब्रेरी यानि कि पुस्तकालय भी है, जहां की बच्चे रोज़ शाम के वक़्त जुट कर स्कूल के बाद की पढ़ाई करते हैं, कम्प्युटर सीखते हैं और साथ ही खेलते भी हैं।
इसी मूवमेंट के मुखिया ग्ननसेकरण (Gnanasekaran) कहते हैं कि ये बदलाव सिर्फ उनके या कुछ बच्चों की वजह से नहीं, बल्कि पूरे Lattur गाँव के सामूहिक योगदान कि वजह से संभव हो पाया है। गाँव को शराब से मुक्ति दिलाने के लिए वो विशेष तौर पर महिलाओं को श्रेय देते हैं। वाकई Lattur के बदलाव कि ये कहानी प्रेरित करने वाली है। नेक इन इंडिया, Lattur वासियों को उनके इस शानदार मुकाम के लिए बहुत बधाइयाँ देता है और कामना करता है कि हमारे देश में ऐसे ही बदलाव और नेकी की बयार हमेशा चलती रहे।
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