Jahan Geet Singh ने पूरी दुनिया में बजाया अपने नाम का डंका
इस दुनिया में ऐसे लोग बहुत कम हैं जो अपने पैशन को प्रोफेशन बनाने का रिस्क उठाते हैं और लीग से हटकर कुछ नया करते हैं। ऐसी ही एक शख्सयित हैं Jahan Geet Singh। उन्होंने महज 12 साल की उम्र से ढोल बजाना शुरू किया और 19 साल की होने तक 300 से ज्यादा लाइव परफार्मेंस देने का नया रिकार्ड बना चुकी हैं। Geet Singh देश की पहली और दुनिया की दूसरी महिला ढोल गर्ल हैं। इसके अलावा वो भारत की सबसे कम उम्र की महिला ढोली भी हैं।
चंडीगढ़ की रहने वाली 21 साल की Jahan Geet Singh को लोग भारत की ‘ढोल गर्ल’ के नाम से जानते हैं। वो फिलहाल पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई कर रही हैं। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, Geet ढोल बजाने के अपने शौक और जुनून को भी आगे बढ़ा रही हैं|
महज 12 साल की उम्र में Geet ने ढोल बजाना और सीखना शुरू कर दिया था, लेकिन ये उनके संघर्ष की बस शुरुआत भर थी। उस उम्र में 9 किलो के भारी ढोल के वजन को घंटों तक संभालना उनके लिए एक बड़ी चुनौती रही क्योंकि ढोल को उठाकर सिर्फ़ 5 मिनट बजाने के लिए भी बहुत ताकत और सहन-शक्ति की ज़रूरत होती है। कई दफा तो ज्यादा मेहनत के कारण हीमोग्लोबिन लेवल घटकर 5 ग्राम ही रह जाता, जिसके बाद उन्हें समझ आया कि ढोल से जुड़े रहना है तो अपने शरीर का भी ख्याल रखना होगा| इसलिए उन्होंने अपने खाने-पीने पर खास ध्यान दिया। धीरे-धीरे अपनी सहनशीलता पर काम किया। कई बार बहुत प्रैक्टिस करते समय हाथों में छाले तक पड़ जाते और कई बार तो खून भी निकलने लगता। मगर Geet पर तो बस धुन सवार थी कि उन्हें भी बाकी ढोलियों की तरह घंटों तक ढोल बजाना है।
Geet बताती हैं कि एक बार स्कूल से लौटते समय उन्होंने रास्ते में कुछ लोगों को ढोल बजाते देखा, जिनके चेहरे पर कुछ अलग ही नूर था, जिसे देख कर लगा कि बस उन्हें भी ढोल सीखना है। जब ये बात घर पर कही तो सबको बहुत हैरानी हुई क्योंकि ढोल को अभी तक सिर्फ़ पुरुषों के गले में लटका देखा गया था और शायद इसलिए कभी किसी ने सोचा ही नहीं कि एक लड़की भी ढोल बजा सकती है| इसी एक सवाल ने न सिर्फ गीत की ज़िंदगी का रुख बदला बल्कि हमारे समाज की सोच को भी चुनौती दी।
Jahan Geet Singh को अपने इस शौक को पूरा करने के लिए परिवार का पूरा साथ मिला। उनके पापा ने दूसरे दिन से ही उनके लिए एक उस्ताद ढूंढना शुरू किया, जो उन्हें ढोल बजाना सिखा सके। पर उन्हें सब जगह ‘ना’ ही सुनने को मिला, क्योंकि कोई भी एक लड़की को ढोल बजाना नहीं सिखाना चाहता था। ज्यादातर लोगों के लिए इस बात को पचा पाना मुश्किल था कि एक अच्छे-खासे परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की ढोल बजाना सीखना चाहती है। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार सरदार करतार सिंह उन्हें ढोल सिखाने के लिए तैयार हो गए। उस वक़्त शायद करतार सिंह को भी लगा था कि ये Geet का दो-चार दिन का शौक है और जल्दी ही, वो खुद सीखने से मना कर देगी। लेकिन जैसे-जैसे वक़्त बीतने लगा, तो उन्हें समझ में आया कि ढोल सीखना सच में उसका जुनून है। इसके बाद उन्होंने पूरे दिल से गीत को सिखाना शुरू किया। आज तक वही उनके उस्ताद हैं। उन्होंने गीत को बहुत बारीकी से सिखाया ताकि ये सिर्फ़ उसके लिए शौकिया न रहे बल्कि उसे ढोल की समझ भी हो।
अपनी पहली परफॉरमेंस के बाद उन्हें लोगों के ताने और दकियानूसी बातें सुनने को मिली, पर उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें कभी भी रुकने नहीं दिया। धीरे-धीरे उनकी एक अलग पहचान बनना शुरू हुई। उन्होंने अपनी परफॉरमेंस के बाद स्टेज पर रंग जमाना शुरू कर दिया। लोगों को अपने बारे में बताया कि ढोल बजाना उनकी मजबूरी नहीं बल्कि शौक है और वो अपनी संस्कृति की शान के प्रतीक ‘ढोल’ को और आगे बढ़ा कर एक नया मुकाम देना चाहती हैं।
इसके बाद Geet को कई स्थानीय टीवी चैनल और रेडियो स्टेशन पर बुलाया जाने लगा। बहुत से अवॉर्ड्स, पुरस्कार और सर्टिफिकेट्स से उन्हें नवाज़ा गया है। पिछले 7 सालों में गीत ने 300 से भी ज़्यादा समारोह और इवेंट में ढोल बजाया है। सबसे पहले उनके बारे में साल 2011 में ब्रिटेन की एक मैगज़ीन टॉम-टॉम ने लिखा था। जहान भारत की सबसे युवा लड़की ढोली हैं और अब ये उनकी पहचान का एक हिस्सा है।
लोगों की ज़िंदगी में बदलाव लाने के उद्देश्य से ही Jahan Geet Singh अलग-अलग संगठनों और एनजीओ आदि के साथ मिलकर समाजसेवा का काम भी कर रही हैं। वो ज्यादातर ऐसे इवेंट में परफॉर्म करती हैं, जो किसी नेक काम और किसी बदलाव के लिए रखा जाता है| यहां वो ढोल बजाने के साथ ही अपने मोटिवेशनल स्पीच के जरिए बदलाव लाने की कोशिश करती हैं।
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