Rudraprayag में चढ़ावे के फूल बने महिलाओं के लिए वरदान

Rudraprayag जिले के सौंराखाल क्षेत्र की महिलाओं ने आजीविका की दिशा में एक नई पहल की है। घंडियाल देवता आजीविका विकास स्वायत्त सहकारिता समूह से जुड़ी क्षेत्र के आठ गांवों की 32 महिलाएं मंदिरों में चढ़ावे के रूप में आने वाले फूलों को इक्कट्ठा कर उनसे धूपबत्ती बना रही हैं। इससे जहां उन्हें आजीविका मिल रही है, वहीं मंदिरों में स्वच्छता की राह भी आसान हुई है।

इसकी शुरुआत इन महिलाओं के समूह ने Rudraprayag प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव मंदिर में 15 क्विंटल फूल एकत्रित कर की। इसके साथ ही अब जिले के सभी मंदिरों से फूल एकत्रित करने के लिए वहां ड्रम लगाने की भी तैयारी है।महिला समूह ने चढ़ावे के फूलों से धूपबत्ती बनाने की शुरुआत एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना में प्रशिक्षण प्राप्त कर के की|

Rudraprayag

इसके तहत कोटेश्वर मंदिर में एकत्रित किए गए फूलों के साथ पय्यां, कुणज, सुमय्या आदि का मिश्रण तैयार कर धूपबत्ती बनाई गई। इसे हिलांस ब्रांड के तहत बेचा जा रहा है। समूह से जुड़ी सौंराखाल की अरुणा देवी बताती हैं कि घर पर ही रोजगार मिलने से महिलाएं काफी उत्साहित हैं। ग्राम सभा सौंदा की देवेश्वरी देवी बताती हैं कि अन्य महिलाएं भी धूपबत्ती बनाने के काम में रुचि दिखा रही हैं। लिहाजा आने वाले दिनों में कार्य को गति मिलने की उम्मीद है।

चढ़ावे के फूलों को उपयोग में लाए जाने से परिवेश को साफ रखने में भी मदद मिली है। आमतौर पर मंदिरों में चढ़ाए गए फूल दोबारा उपयोग में नहीं लाए जाते और उन्हें या तो नदी-नालों में बहा दिया जाता है अथवा इधर-उधर फेंक दिया जाता है। लेकिन, अब यही फूल धूपबत्ती और अगरबत्ती के रूप में दोबारा से भगवान को अर्पित किए जा सकेंगे।

समूह के तकनीकी समन्वयक सतीश भट्ट बताते हैं कि महाशिवरात्रि तक धूपबत्ती के पांच हजार पैकेट तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था। महिलाओं ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। यह पैकेट बिक्री के लिए कोटेश्वर मंदिर में रखे गए हैं, जिन्हें श्रद्धालु हाथों हाथ ले रहे हैं। इनकी कीमत दस रुपये प्रति पैकेट रखी गई है। इसके अलावा महिलाओं ने चौलाई के 200 किलो लड्डू भी तैयार किए हैं।

Rudraprayag

एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के परियोजना प्रबंधक मोहम्मद आरिफ खान ने बताया कि मंदिरों में चढ़ावे के फूलों को एकत्रित कर धूपबत्ती बनाने से स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। अब कोशिश ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस काम से जोड़ने की है। इसके अलावा महिलाओं को चौलाई के लड्डू तैयार करने का प्रशिक्षण भी दिया गया है।

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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