Vineet Chaturvedi ने साबित किया कि जेब नही दिल बड़ा होना चाहिए

सही कहा है किसी ने दूसरो की मदद करने के लिए जेब का भरा होना ज़रूरी नही, वैसे खुद मदद पाने की आशा तब ही रखनी चाहिऐ जब आप दूसरो की मदद के वक़्त तमाशा न देखते हो ।

भारत में बड़े बड़े एनजीओ और दूसरे चैरिटेबल ग्रुप्स है , पर लखनऊ के Vineet Chaturvedi निचले स्तर से दूसरो की जिंदिगी रोशन करने का प्रयास कर रहे है| जहाँ सब अपनी-अपनी जिंदिगी में व्यस्त है , वहाँ Vineet भारत के भविष्य के बारे मे सोच रहे है , अपने जेब खर्चें से गरीब बच्चो के लिए किताबे खरीदते है और उनको पढ़ाते है|

उनका लक्ष्य गरीब बच्चो को आत्मनिर्भर बनाना है| इसके साथ साथ उनका ध्यान रखना ,उनको दवाइयां उपलब्ध करना , साफ-सुथरे रहने का पाठ भी देते है| उनका मानना है की असहाय और बस्ती के बच्चो को पढ़ा कर वो उनकी ज़िंदगी सवार सकते है, जिसके लिए वो दिन रात एक कर रहे है| दिलचस्पी की बात ये है की Vineet Chaturvedi  केजीएमयू के मेडिकल स्टूडेंट है और मेडिकल की पढ़ाई के साथ साथ समाज सेवा के लिए समय निकालना आसान काम नही है|

Vineet Chaturvedi
Photo : facebook.com

न्यू हैदराबाद के निवासी Vineet ने बताया कि वो पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय Dr. APJ Abdul Kalaam से इंस्पायर हैं| उन्होंने उन्ही से सीख ले कर दूसरो की मदद करना शुरू किया है| Vineet ने इसकी शुरुवात सड़कों पर भीख मांगते बच्चों को पढ़ाने से की थी, अब वो ऐसे ही बच्चों का बीड़ा उठाएं हुए है| Vineet को पहले तो उनके परिवार वालो ने ख़ुद की पढ़ाई पूरा करने का दबाव बनाया, लेकिन धीरे धीरे सारी चीज़े नार्मल हो गई और अब घर परिवार के लोग भी उनकी मदद करने लगे है।

*पर्यावरण के प्रति भी कर रहे जागरूक*

Vineet Chaturvedi बताते हैं कि उनकी टीम मोहल्ले में जाकर लोगों को पौधरोपण के प्रति भी जागरूक करती है । दो साल के अंदर वो , विभिन्न पार्को में करीब एक हजार से अधिक पौधों का रोपण करा चुके हैं । पहले लोगों को लगता था कि वो बेकार का काम कर रहे हैं , लेकिन अब मोहल्ले से लेकर सभी दोस्त भी उनका सहयोग करते हैं । जहां भी पौधरोपण होता है , सभी पहुंच जाते हैं। इससे उनका हौसला बढ़ता है ।

Vineet Chaturvedi
Photo : facebook.com

*सेहत के प्रति करते हैं सचेत*

Vineet Chaturvedi बताते हैं कि लोगों को सेहत के प्रति भी जागरूक किया जाता है। बच्चों में होने वाली विभिन्न बीमारियों और इससे बचने के उपाय समझाए जाते हैं। इसका असर ये हुआ कि मलिन बस्तियों में बीमार होने वाले बच्चों की संख्या कम हो गई। यदि पट्टान के दौरान पता चला कि कोई बच्चा बीमार है तो उसका केजीएमयू में इलाज भी करा देते हैं। इसका फायदा ये है कि बच्चों को समय से दवा मिल जाती है और वो ठीक हो जाते हैं|

#NekInIndia

(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )

Facebook Comments
(Visited 328 times, 1 visits today)

Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Facebook

SuperWebTricks Loading...
error: Content is protected !!
%d bloggers like this: