Ramesh Rawat जॉब छोड़, अपने सपने को बेटियों के जरिये कर रहे हैं पूरा
पहलवान सिस्टर्स गीता और बबीता फोगाट की तर्ज पर अब नोएडा में भी बेटियों को खिलाड़ी बनाने के लिए एक पापा (Ramesh Rawat) का जूनून देखते ही बन रहा है| सरकारी नौकरी छोड़ गुजारे के लिए छोटा-मोटा काम शुरू किया है और पूरा टाइम बेटियों की फिटनेस को दे रहे हैं। हालांकि, आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है लेकिन बेटियों को खिलाड़ी बनाने का जुनून इस कदर सवार है कि कोचिंग की फीस देने के लिए मां ने जेवर तक गिरवी रख दिए हैं।
सेक्टर-123 स्थित राधा कुंज कॉलोनी में रहने वाले Ramesh Rawat कस्टम विभाग में नौकरी करते थे। अपने जमाने में उन्हें पहलवानी और बॉक्सिंग का बेहद शौक था लेकिन घर से सपोर्ट न मिल पाने के कारण सपना पूरा नहीं हो पाया। दोनों बेटियां भी बचपन से ही पहलवानी और बॉक्सिंग की शौकीन हैं। दंगल फिल्म देखने के बाद पापा को बेटियों को ‘गीता’,’बबीता’ बनाने का ऐसा जुनून चढ़ा है कि नौकरी त्यागकर पूरा फोकस बेटियों पर लगा दिया है।
Ramesh Rawat, सुबह 4 बजे से बेटियों को कसरत कराना शुरू करा देते हैं। इसमें दौड़, दंड बैठक और बाकी एक्सरसाइज शामिल हैं। वो खुद भी एक्सरसाइज करते हैं ताकि बेटियों का हौसला बना रहे। पापा की दिन-रात की मेहनत और बेटियों की लगन धीरे-धीरे रंग ला रही है। बड़ी बेटी मानसी स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीतने के बाद पिछले दिनों यूथ नैशनल में खेल चुकी है। हालांकि नैशनल में अभी उन्हें कोई मेडल नहीं मिला है, लेकिन दिन-रात की कड़ी मेहनत जारी है। वहीं छोटे बेटी 12वीं में है और अब प्रदेश स्तर की मुक्केबाजी प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रही है।
सूत्रों से बात करते हुए बड़ी बेटी मानसी ने बताया कि उनके पापा ने उनके लिए नौकरी छोड़ दी, गुजारे के लिए छोटा मोटा काम करते हैं ताकि पूरा टाइम उन्हें दे सकें। सुबह 4 बजे उनके पापा उन्हें उठाते हैं और 6 बजे तक कसरत कराते हैं।वो, दिल्ली कोचिंग के लिए जाती हैं| फिर दिन में छोटी बहन को अखाड़े में पहलवानी की प्रैक्टिस कराते हैं। शाम को दोनों बहनें पापा के साथ फिर कसरत करती हैं। मानसी का कहना है कि उनसे ज्यादा मेहनत उनके पापा उनके लिए कर रहे हैं।
Ramesh Rawat ने बताया कि बेटी को दिल्ली में कोचिंग कराने का करीब 10 हजार रुपये महीने का खर्च बैठ रहा है। अभी काम उतना चल नहीं रहा है। फिलहाल जेवर गिरवी रखकर बेटी की कोचिंग की फीस दी है। उसकी कोचिंग जेवरों से ज्यादा जरूरी है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों दिल्ली सरकार से उन्होंने मदद मांगी थी कि कोचिंग की फीस में कुछ छूट मिल जाए या कहीं रहने की व्यवस्था हो जाए क्योंकि नोएडा में अभी कहीं भी बॉक्सिंग की कोचिंग की सुविधा नहीं है।
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