कभी पैरों पर खड़ी न हो पाने वाली Adrika Goyal को मिला ब्रेवरी अवार्ड
एक फायर एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल हुई 6 साल की Adrika Goyal को डॉक्टरों ने कहा था कि वो अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं चल पाएगी। लेकिन अब, 10 साल की हो चुकी Adrika, मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बहादुरी पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मंच पर गयी| उनके भाई, कार्तिक को भी सम्मानित किया गया|
Adrika Goyal ने अपने भाई कार्तिक के साथ 2 अप्रैल, 2018 को भारी बहादुरी का प्रदर्शन किया, जब छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के यात्रियों पर मुरैना में एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत भारत बंद के दौरान हमला किया गया था। चूंकि प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन को चलने की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए दोनों भाई-बहन, जो पास में ही रहते थे, ने यात्रियों को फंसते देख अपने घर ओर भागते हुए खाना लेने पहुंचे और पूरी ट्रेन को अपनी ज़िंदगी की परवाह किये बगैर पानी और खाना खिलाया|
बच्चों के पिता अक्षत गोयल ने बताया कि उनका घर मुरैना स्टेशन से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर है। दोनों बच्चे यात्रियों की मदद करना चाहते थे। वो यात्रियों को पानी और खाद्य सामग्री मुहैया कराने के लिए एक कोच से दूसरे कोच में भागते रहे|
साथ ही उन्होंने कहा कि उनको खुद भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके बच्चे उस स्थिति में यात्रियों की मदद कर रहे थे, जब प्रदर्शनकारी ट्रेन पर पथराव कर रहे थे। जल्द ही, उनके वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। गोयल ने कहा कि उसके बाद कई अन्य लोग भी उनके साथ जुड़ गए और यात्रियों की मदद करने लगे।
चार साल पहले अपने परिवार को हिला देने वाली घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनके घर में आग लगने की घटना तब हुई जब Adrika Goyal सिर्फ 6 साल की थी। उस घटना में उसके दोनों पैर गंभीर रूप से घायल हो गए थे| वो ऐसी स्थिति में चली गई थी कि डॉक्टरों को चिंता थी कि इससे उसमें अवसाद पैदा हो सकता है।
गोयल ने कहा कि अपनी बच्ची को इतनी बड़ी समस्याओं का सामना करते देखना उनके लिए बहुत दर्दनाक था। डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि उन्हें उसकी मदद करने की ज़रूरत है क्योंकि Adrika इससे डिप्रेशन में जा सकती है|
यह साझा करते हुए कि कैसे दुर्घटना ने उसे न केवल शारीरिक रूप से कमजोर बना दिया बल्कि उसे मानसिक रूप से भी सूखा दिया, Adrika Goyal ने कहा कि इलाज़ के बावजूद वो ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी| कई लोगों को उसकी स्थिति पर दया आने लगी थी। वो खुद भी बहुत परेशान और हताश हो गयी थी|
उसे नार्मल स्तिथि में लाने के लिए, Adrika के पिता ने उसे ताइक्वांडो क्लासेज में भर्ती कराया। उसे ताइक्वांडो क्लासेज कंटिन्यू रखने के लिए उन्हें कई बार उसे मजबूर करना पड़ा। जल्द ही, वो स्वस्थ होने लगी। वो ऐसी प्रतिबद्ध थी कि उसे 8 साल की उम्र से पहले ही ब्लैक बेल्ट से सम्मानित किया गया, जो कि उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला था।
उसकी उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते हुए, उसके पिता ने कहा कि Adrika ने अब तक 20,000 से ज्यादा बच्चों को ताइक्वांडो में प्रशिक्षित किया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय इंग्लिश ओलंपियाड में स्वर्ण पदक भी जीता है। वो ग्रेड 1 से लगातार क्लास टॉपर रही हैं। उन्हें बहु-प्रतिभाशाली होने के लिए रक्षा मंत्री एन सीतारमण से भी पुरस्कार मिला है।
विशेष रूप से, Adrika Goyal को उनकी प्रतिभा के लिए तीन अलग-अलग विश्व पुस्तक रिकॉर्ड में नामित किया गया है। अपनी बहन के साथ कन्धा मिलाते हुए उनके भाई कार्तिक भी सबसे कम उम्र के स्केचर होने का एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड रखते हैं|
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