10 साल के Abhinav Shaw का जलवा, बने यंगेस्ट चैंपियन
“Abhinav Shaw, निश्चित रूप से “, Rupesh Shaw ने अपनी पत्नी को 2006 में यही कहा था, जब उनसे पूछा गया था कि अगर उनका एक बेटा हुआ तो वह उसको क्या नाम देंगे? Shaw उस साल, विश्व शूटर का खिताब जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा से काफी प्रभावित थे। कुछ साल बाद उनका एक बेटा हुआ| उसका नाम रखने में शॉ को कुछ सोचना नहीं पड़ा|
आख़िरकार, रविवार को, 10 साल और 291 दिन के Abhinav Shaw, Khelo India Youth Games के यंगेस्ट मेडलिस्ट बन गए| उन्होंने बालवाड़ी खेल परिसर में अंडर -21 वर्ग में मेहुली घोष के साथ 10m air rifle mixed gold जीता| पश्चिम बंगाल के इस लड़के ने 8 साल की उम्र में इस खेल की शुरुवात की थी|
हालांकि,Khelo India Youth Games केवल दो संस्करण(edition) पुराने हैं, Abhinav Shaw का रिकॉर्ड तोड़ना लगभग असंभव होगा। न केवल इसकी कठिनाई स्तर के कारण, बल्कि पिछले महीने नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की नीति में बदलाव के कारण भी। हालांकि इससे पहले कोई भी उम्र हवाई हथियार की शूटिंग शुरू करने के लिए डिफाइंड नहीं की गई थी, लेकिन एसोसिएशन ने अब इसे 10 साल कर दिया है। बन्दूक की शूटिंग शुरू करने की कानूनी उम्र 12 वर्ष है|
एनआरएआई के महासचिव राजीव भाटिया ने सूत्रों को बताया की न्यूनतम आयु निर्धारित करने का कारण यह है कि एक बच्चे को एक हवाई बंदूक का वजन उठाने के लिए शारीरिक रूप से पर्याप्त रूप से बड़ा होना चाहिए।संयोग से, Abhinav Shaw का वजन 40 किलो है और अपने दो घंटे के दैनिक अभ्यास के दौरान वो 4.5 किलोग्राम राइफल उठाता है|
नए रेगुलेशन के साथ, कोई भी क्लब या अकादमी अंडर-10 निशानेबाजों को प्रशिक्षित करने में सक्षम नहीं होगा। यहां तक कि अगर शूटर घर पर ट्रेनिंग लेता है, तो भी वो प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होगा। एक बार एक शूटर 10 साल से शुरू करता है, तो ये उसके लिए संभव नहीं होगा कि वो एक साल के अंदर किसी भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग ले सके।
सीनियर शॉ का कहना है कि वो खुद भी एक महत्वाकांक्षी निशानेबाज थे, लेकिन वित्तीय बाधाओं के कारण वो कंटिन्यू नहीं कर पाए। लेकिन वो चाहते थे कि अभिनव शूटिंग शुरू करे और इसलिए, दो साल पहले उन्होंने उसे आसनसोल शूटिंग अकादमी में रजिस्टर्ड करवाया| उन्होंने कहा कि Abhinav ने राज्य चैंपियनशिप में भाग लिया और युवा वर्ग (अंडर -18) में स्वर्ण पदक जीता। उन्हें तब ओलंपियन निशानेबाज जॉयदीप करमाकर ने देखा था, जो Abhinav Shaw को कोलकाता में अपनी अकादमी में ले गए थे।
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