94 साल की Sharda हैं देश की पहली lady psychiatrist
Dr. Sharda 94 साल की उम्र में भी जासूसी नॉवेल पढ़ने की शौकीन हैं| Mambalikalathil Sarada, कर्नाटक के मैंगलोर में एक जज के घर पैदा हुई आठवीं बेटी हैं| उनके जन्म के कुछ दिन बाद उनके पिता का ट्रांसफर मद्रास में हो गया| इसी कारण Sharda की पढ़ाई मद्रास में हुई|
1930 में गुड शेफर्ड स्कूल में उनका अड्मिशन हुआ| वहाँ कोई यूनिफॉर्म नहीं थी| 6th क्लास तक बस 6 लड़कियाँ ही स्कूल में थीं| 7th क्लास तक आते-आते कई ने स्कूल छोड़ दिया| उस स्कूल में जूनियर कैंब्रिज का सिलेबस लागू होता था, लेकिन स्कूल में कम स्टूडेंट होने की वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा और उनका अड्मिशन चर्च पार्क स्कूल में करा दिया गया| घर में पढ़ाई का माहौल था और Sharda का रुझान मेडिकल में था| मद्रास मेडिकल कॉलेज में लड़कियों को फीस नहीं देनी होती थी|
एमडी करने बाद शारदा को लगा कि सबसे ज़्यादा दुख उन लोगों को है, जो दिमागी रूप से परेशन हैं| उन्हें हमेशा सोचती थीं कि ऐसे लोगों के घर वाले भी उन्हें अपनाना क्यों नहीं चाहते हैं? लेकिन उनकी रूचि के अनुसार मद्रास मेडिकल कॉलेज में Psychiatry नहीं पढ़ाते थे|
किलपॅक में एक इन्स्टिट्यूट था, जहाँ 1800 मरीज़ थे, लेकिन इन्हें जनता की सुरक्षा के लिए भर्ती किया गया था| ये इन्स्टिट्यूट बंद ही रहता था| तब Sharda ने निमहांस से psychiatry में 2 साल का कोर्स किया और वो 1957 में देश की पहली महिला साइकिट्रिस्ट बन गयीं|
उस वक़्त दवाएँ नहीं थीं| दौरा पड़ने पर मरीज़ को एक इंजेक्षन देते थे, जो बहुत दर्द पहुँचता था| डॉक्टर्स को भी इस फील्ड में दिलचस्पी नहीं थी और ना ही इस फील्ड में ज़्यादा डॉक्टर देश में थे| उस वक़्त Sharda ने इन लोगों का इलाज़ किया और social workers की मदद से लोगों की सेवा की| 80 के दशक में इस फील्ड में डॉक्टर्स की रूचि हुई, लेकिन Dr. Sharda आज भी अपने इस काम में जुटी हुई हैं|
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