Rahul Mehra का हर weekend छुट्टी नहीं बल्कि होता है बहुत ख़ास
अपने होमटाउन से दूर काम करने वालों के विपरीत, techie Rahul Mehra , weekends पर पहली ट्रेन पकड़कर अपने घर जाता है, ताकि वहाँ ग़रीब बच्चों को पढ़ा सके|
Rahul Mehra, एक इंजीनियर हैं जो टिकमगढ़ में काम करते हैं और हर weekend पर भोपाल जाते हैं| दुर्गा नगर की झोपड़पट्टी के एक स्कूल ने उन्हें शहर की ओर खींचा| चार साल पहले, राहुल, जो MANIT के स्टूडेंट थे, राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा शुरू किए गए स्कूल में झोपड़पट्टी के गरीब बच्चों को volunteer बनकर पढ़ाया करते थे।
Rahul की कड़ी मेहनत से केंद्र द्वारा शुरू किए गये सात स्कूलों में से, सिर्फ़ दुर्गा नगर वाला ही एक functional है। Iron shade के नीचे चलने वाले इस स्कूल में, झोपड़पट्टी के 25 बच्चे बैठते हैं, पढ़ते हैं, पेंट करते हैं, खेलते हैं और इस स्कूल में कई नई चीजें सीखते हैं।
राहुल ने कहा कि उन्होनें कभी सोचा नहीं था कि वो इतने लंबे समय तक इन बच्चों से जुड़े रहेंगे| लेकिन, उन्होनें इन बच्चों का talent देखा|
Rahul ने बताया कि sports के लिए दो दिन के साथ उन्होनें daily classes की शुरुआत की, जिसमें chess शामिल है। अब, दो हफ़्ते में एक बार quiz conduct किया जाता है। Rahul Mehra, जो स्कूल में टीचर की stationery और honorarium के लिए हर महीने 8,000 रुपये खर्च करते हैं ने कहा कि 30 स्टूडेंट्स में से कुछ गवर्नमेंट स्कूलों में जाते हैं। बाकी, जो नहीं जाते हैं, वो अब पढ़ना और लिखना सीख रहे हैं|
Rahul याद करते हैं कि ज़्यादातर volunteers, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, नौकरियों में busy हो गये| उनके माता-पिता, जो कि नरसिंहगढ़ में रहते हैं, उन्हें weekends पर घर ना आने के लिए हमेशा डाँटते हैं|
लेकिन, राहुल का कहना है कि बच्चों के मुस्कुराते हुए चेहरे उनके लिए stress busters की तरह काम करते हैं। उन्हें देखकर, वो चार्ज हो जाते हैं| वो बस इस स्कूल को चलते देखना चाहते हैं| Rahul Mehra उनमें से कई बच्चों को फ्यूचर के IAS officers के रूप में देखते हैं|
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