Hiremath ने दोनों पैर खोने के बाद भी नहीं छोड़ा योगा पढ़ाना
लोगों को योग का अभ्यास करने और स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। और आपको प्रेरणा खोजने के लिए बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है।
हुब्बल्ली के योग शिक्षक Mrutyunjaya Hiremath के लिए, योग सबकुछ है। पिछले साल बेंगलुरु में उन्होंने अपने दोनों पैरों को एक दुर्घटना में खो दिया था, लेकिन उन्होंने योग पढ़ाना नहीं छोड़ा|
कुर्सी पर बैठकर उन्होनें योग पढ़ाना जारी रखा| योग के लिए उनकी अतुलनीय भावना और सम्मान ने उन्हें पहले की तरह ही सक्रिय रखा है।
Hiremath ने कहा कि वो 20 साल पहले आजीविका कमाने के लिए मुंडागोड के अपने मूल पाला गांव से इस शहर में आए थे| उन्होनें योग सीखा और बाद में आध्यात्मिक ज्ञान के लिए माउंट आबू में ब्राह्मणुमारिस आश्रम में शामिल हो गए। उन्होनें वहां कुछ वर्षों तक योग पढ़ा और फिर अपने परिवार में हुई कुछ समस्याओं के कारण हुब्बल्ली लौट आए|
फिर, 2014 में Hiremath बंगालुरु गये, जहां उन्होनें नागभावी, टुनगानगर, माचोहल्ली और अन्य क्षेत्रों में योग को चार-पांच बैचों में पढ़ाया। लेकिन, 11 नवंबर, 2017 को उनके साथ एक दुर्घटना हो गयी| उन्होनें बताया कि एक तेज लॉरी ने मगदी रोड पर पीछे से उनके दोपहिया को टक्कर मार दी और उन्होनें अपने दोनों पैरों को खो दिया। एक महीने के लिए अस्पताल में रहने के बाद, वो वापस हुब्बल्ली आए| अब, उन्हें जाईपुर आर्टिफिशियल लिंब्स मिल गए हैं और वो एक बेंत के सहारे चलने में सक्षम हैं|
Hiremath, जो कि अब विद्यांगर में अपनी बहन के साथ रहते हैं, ने कहा कि योग के प्रति उनकी कमिटमेंट की मृत्यु नहीं हुई है। उन्होनें अपने पैरों को खोने के बावजूद लोगों को योग पढ़ाना शुरू कर दिया। वो अब एक कुर्सी पर बैठकर अष्टांग योग, प्राणायाम, सूर्यनमास्कर, जनसुरासन, हलसन और योग के अन्य पहलुओं को पढ़ाते हैं| कभी-कभी, Hiremath एक व्यक्ति को प्रशिक्षित करते हैं और उसे दूसरों को सिखाने देते हैं| वह रामबापुरी कल्याण मंतप में योग को मुफ्त में पढ़ाते हैं|
(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )