Mohammad Ashfaq ने रोज़ा तोड़ बचाई 2 दिन की बच्ची की जान

बिहार के रहने वाले Mohammad Ashfaq ने साबित कर दिया है कि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं| दरभंगा के रहने वाले इस आदमी ने अपना रोज़ा तोड़कर 2 दिन की बच्ची की जान बचाने का नेक काम किया है| Ashfaq रमजान के महीने में रोज़ा रखते हैं|

रमेश सिंह की पत्नी आरती कुमारी ने दरभंगा में एक निजी नर्सिंग होम में अपनी बेटी को जन्म दिया। लेकिन नवजात शिशु का स्वास्थ्य बहुत खराब था।

चूंकि नवजात बच्ची का ब्लड-ग्रूप O negative (दुर्लभ रक्त समूह) था, अस्पताल आवश्यक रक्त की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं था। हालांकि, परिवार के सदस्यों ने रक्त की आवश्यकता के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।

Mohammad Ashfaq
Photo : eenaduindia.com

Mohammad Ashfaq को पोस्ट के बारे में पता चला, तो उन्होनें अपने धर्म की बजाए इंसानियत को चुना और फेसबुक के माध्यम से उन्होनें तुरंत बच्ची के परिवार से संपर्क किया। Ashfaq की माने तो उन्हें लगा किसी की ज़िंदगी बचाना बहुत नेक काम है| लेकिन, जब उन्हें ये पता चला कि वो मासूम बच्ची एक SSB जवान की बेटी है, तो इस बात ने उन्हें और भी प्रेरणा दी|

जब Mohammad Ashfaq अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने उनसे कहा कि खाना खाए बिना उनका खून नहीं निकाल सकते हैं| तब Ashfaq ने डॉक्टर की राय के साथ जाना ज़रूरी समझा और हॉस्पिटल में खाना खाने का फैसला किया।

Mohammad Ashfaq
Photo : internet

कुछ दिन पहले देहरादून का ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जहाँ एक मुस्लिम इंसान ने एक हिंदू की जान बचाने के लिए रमजान के पाक महीने में रोज़ा तोड़ दिया था|

Mohammad Ashfaq
Photo : indiatoday.in

रमजान के महीने में मुस्लिम संप्रदाय के लोग रोज़ा रखते हैं| ये एक तरह का निर्जल व्रत होता है, जिसमें पूरा दिन भूखा-प्यासा रहना पड़ता है| रोज़े का वक़्त सूरज निकलने के बाद तब तक चलता है, जब तक कि सूरज ढल ना जाए|

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Geeta Rana

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