बिना बाजुओं के भी Madan Lal है एक professional tailor
हरयाणा के 45 साल के Madan Lal, बीना बाजुओं के पैदा हुए| जिस दिन से वो पैदा हुए हैं, तब से अभी तक उन्होनें अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है| वह बचपन में स्कूल में अड्मिशन लेने गये, जहाँ टीचर ने उनकी विकलांगता देखते ही उन्हें मना कर दिया| इस बात से उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्होनें सोचा कि वह उन्हें कुछ कर के दिखाएँगे| Madan जानते थे कि उनका परिवार इतना सक्षम नहीं है कि उनकी पढ़ाई करा सके और उन्होनें सोचा कि सरकार भी उनकी कोई मदद नहीं करेगी, इसलिए उन्होनें ख़ुद कुछ करने का सोचा और अपनी किस्मत को बदल दिया|
वह एक दर्ज़ी के पास गया और उससे टेलर का काम सिखाने के लिए पूछा| लेकिन दर्ज़ी ने उसे देखकर पूछा कि बिना हाथों के वह काम कैसे करेगा!
हालांकि, Madan ने उस दर्ज़ी से उसे एक मौका देकर ख़ुद को साबित करने के लिए कहा और दर्ज़ी मान गया| कुछ ही दिनों बाद टेलर Madan के काम से खुश हो गया और उसने उसकी तारीफ़ भी करी, जिससे Madan Lal का आत्मविश्वास और बड़ गया|
कुछ वक़्त के बाद Madan अपने गाँव वापिस आ गया और अपनी खुद की एक दुकान खोल ली| उस दिन वो अपने सारे दुख भूल गये| ये उनके जीवन का सबसे अच्छा दिन था| लोग उनकी दुकान पर उन्हें बधाई देने के लिए आने लगे| पूरा गाँव बहुत खुश था, मानों कि वो उनका अपना परिवार हो|
शुरूवात में लोग उसे कपड़े देने में झिझकते थे कि कहीं पैरों से कपड़ा सीलने पर कपड़ा खराब ना हो जाए| लेकिन धीरे-धीरे Madan ने उनका विश्वास जीत लिया| कपड़े सिलते हुए Madan Lal को अब 20 साल हो गये हैं और उसकी दुकान अच्छे से चल रही है|
उनकी प्रेरणादायक कहानी आज बड़े-बड़े international publications द्वारा प्रकाशित की जा रही हैं| निश्चित ही जहाँ इस दुनिया में लोग अपनी लाइफ और भाग्य को कोसते नहीं थकते, वहीं मदन सबके लिए प्रेरणादायक इंसान है|