Kamalbhai का footpath school है ग़रीब बच्चों के लिए असली शिक्षा का मंदिर
हर दिन स्कूल के बाद slums के sweepers, laborers, security guards, lorry pullers, drivers, house maids आदि के 150 से भी ज़्यादा बच्चे Ahemdabad के Ambawadi bazaar area के foothpath school में दिखाई देते हैं| मज़ेदार बात ये है कि यह पिछले 15 सालों से लगातार चलता आ रहा है| धन्यवाद है Kamalbhai Parmar को जिनकी मेहनत से कभी पढ़-लिख ना पाने वाले बच्चे आज doctor और engineers बन रहे हैं|
Kamalbhai Parmar उन हज़ारों tuition teachers से अलग हैं जो पैसे कमाने के लिए बच्चों की भीड़ बैठा उन्हें ज़्यादा marks लाने का लालच देते हैं| Kamalbhai इन socially और economically backward बच्चों के लिए teacher और mentor दोनों का role निभाते हैं|
अपनी factory के बाहर खड़े एक दिन Kamalbhai ने 20-21 Municipality School के बच्चों को exams देकर घर वापिस जाते हुए देखा| उन्होनें पाया कि उनमें से किसी को भी पढ़ना और लिखना नहीं आता है और सबसे ज़्यादा चकित करने वाली बात यह थी कि वह सब 8th standard में थे|
इस घटना के बाद उन्होनें अपने area में 400 बच्चों का survey किया और पाया कि उनमें से केवल 5 बच्चे ही litterate हैं| तभी उन्होनें यह footpath school शुरू करने का सोचा| हर दिन स्कूल के बाद, Kamalbhai उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए alphabet से लेकर स्कूल के exams की तैयारी कराने लगे| आज इस programme को 15 साल से उपर हो गये हैं और 10 बच्चों की संख्या बढ़कर 155 हो गई है|
Kamalbhai इन बच्चों को हर दिन 2 घंटे पढ़ाते हैं और उसके बाद सबके साथ मिलकर dinner करते हैं| Dinner की वज़ह से ज़्यादा बच्चे यहाँ आते हैं| सोचा जाए तो जो बच्चे पढ़-लिख नहीं सकते थे वो आज doctor, engineer और बेंकों में manager हैं| Kamalbhai के लिए यही सबसे बड़ी सफ़लता है|
अपने इस अच्छे काम के लिए 2009 में Kamalbhai Parmar को Dharati Ratna से भी सम्मानित किया गया था| Kamalbhai के footpath school की कहानी काफ़ी जगह लोकप्रिय रही है|