उत्तराखंड की महिलाओं ने लॉकडाउन के चलते उठायी बड़ी ज़िम्मेदारी
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में 2300 महिला स्वयं सहायता समूहों (Women self help groups) का गठन आजीविका परियोजना द्वारा किया गया है| ये सभी समूह अब जिले भर के गांवों में आटा, तेल, चावल, दाल, नमक सहित आवश्यक चीजों को पहुंचाने में मदद करेंगे| इन समूहों द्वारा ही जिले में 40 फेडरेशनों का गठन किया गया है| अब सभी फेडरेशन गांवों तक राशन पहुंचाने की तैयारी में जुट गये हैं|
खष्टी देवी ने सूत्रों को बताया कि वो लोग अल्मोड़ा जिले के हवालबांग के कई गांवों में राशन भेजने के लिए कई दिनों से पैकिंग कर रहे हैं, जिससे गांवों में किसी भी व्यक्ति को भूखा न रहना पड़े| इसके साथ ही उनके फेडरेशन में कई महिलाओं ने अपने हाथों से जरुरी सामान के पैकेट बना लिये हैं, जो गांवों के समूहों (Women self help groups) में भेजे जाएंगे| उन्होंने बताया कि इसके लिए सिर्फ न्यूनतम पैसा ही लिया जायेगा|
समूह की सदस्य नेहा बताती है कि वह पिछले एक सप्ताह से गांवों में राशन भेजने के लिए पूरा दिन सामान की पैकिंग कर रही है| जहां से भी राशन की मांग हो रही है वहां तत्काल राशन भेजा जा रहा है| किसी को भी राशन की कमी नहीं होगी, इसके लिए जिला प्रशासन से लगातार संपर्क किया जा रहा है| जिला परियोजना प्रबंधक आजीविका परियोजना के कैलास भट्ट का कहना है कि लोगों को घबराने की जरुरत नहीं है, वो लगातार जिला प्रशासन और व्यापारियों से संपर्क कर रही हैं, राशन की भरपूर मात्रा में व्यवस्था की जा रही है|
लॉकडाउन में लोगों को जरुरी काम से ही घरों से बाहर निकलना है जिससे कोरोना संक्रमण को रोका जा सकता है| वैसे तो पहाड़ों में लोग इस लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं, फिर भी खाने पीने की कमी न हो इसलिए लगातार महिला समूह काम (Women self help groups) कर रहे हैं|
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