चमोली के शिक्षक Dhan Singh Ghariya ने पेश की अनोखी मिसाल

अपने लिए जीएं तो क्या जीएं, ए दिल तू जी जमाने के लिए… इन शब्दों को सार्थक किया है चमोली जिले के शिक्षक Dhan Singh Ghariya ने। उत्तराखंड के चमोली ज़िले में विद्यालय में मनाये गए प्रवेशोत्सव के दौरान पोखरि ब्लॉक राजकीय इंटर कॉलेज गोदली के टीचर Dhan Singh Ghariya ने 2 गरीब लड़कियों को गोद लिया| साथ ही टीचर ने कहा कि वो उन दोनों कि पढाई का पूरा खर्च उठाएंगे| इस टीचर को इलाके के लोग ‘पेड़ वाले गुरूजी’ के नाम से जानते हैं| इनका असली नाम धन सिंह गरिया है, वो पहले पर्यावरण प्रेमी भी रह चुके हैं|

Dhan Singh Ghariya
Photo : uttarakhandleaks.com

स्कुल में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने इन्दु व जमुना नाम की लड़कियों को अपने खर्च पर पढ़ाने का ज़िम्मा उठाया| लोगों का कहना है कि गरिया हर साल गरीब लड़कियों की शिक्षा के लिए उन्हें गोद लेते हैं| इस साल उन्होंने क्षेत्र की 2 लड़कियों को पढ़ाने के लिए गोद लिया है| इन्दु व जमुना के घर की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है, जिस वजह से दोनों को दसवीं के बाद पढाई छोड़ देनी पड़ी थी| लेकिन दोनों में पढ़ने की ललक थी और वो दोनों आगे बढ़ना चाहती थी| Ghariya को जैसे ही इन 2 लड़कियों के बारे में पता चला, उन्होंने उनकी पढाई का ज़िम्मा उठाने का एलान कर दिया| दोनों लड़कियों को स्कुल की ड्रेस देकर पुरे सम्मान के साथ उनका एड्मिसन राइका गोदली में करवाया|

Dhan Singh Ghariya
Photo : amarujala.com

टीचर Dhan Singh Ghariya के बारे में कहा जाता है कि वो जब भी अपने किसी सगे-सम्बन्धियों के घर जाते हैं तो उनसे पुराने कपड़े और किताबें माँगना नहीं भूलते| यहाँ तक कि वो लोगों से पुराने अखबार और पत्रिकाएं भी मांग कर ले जाते हैं| उनकी पीठ पर हमेशा एक बैग रहता है| जिसमें उनकी जरुरत का सामान ही नहीं, बल्कि लोगों से माँगा हुआ सामान भी मौजूद होता है| वो इन सभी सामानों को स्कुल ले जाकर जरूरतमंद बच्चों को बाँट देते हैं|

ped wale guruji
Photo : jagran.com

Dhan Singh Ghariya को दुरुस्त गाँवों के स्कूलों में पढ़ाते हुए काफी लम्बा अरसा हो गया है| कई बार उनका ट्रांसफर शहरी स्कूलों में भी हुआ, लेकिन उन्होंने खुद ही अपना ट्रांसफर रुकवाकर गाँव के स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया|

Dhan Singh Ghariya
Photo : amarujala.com

उनका कहना है कि गाँव में रहने वाले बच्चों को टीचरों कि ज्यादा आवश्यकता है| इसलिए वो गाँव में रहकर ही बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं|

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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