Reshma Nilofer Naha बनीं लाखों लड़कियों की रोल मॉडल
मरीन पायलट Reshma Nilofer Naha उन सभी लड़कियों की प्रेरणा बन गई हैं जो अपने इरादों के बल पर आसमान छू लेना चाहती हैं। वह उन युवा लड़कियों की रोल मॉडल बन गयी हैं जो अपने दम पर ख्वाब पूरे करना चाहती हैं। रेशमा ने साल 2006 में इस क्षेत्र में कदम रखा जहां दूर-दूर तक महिलाकर्मी नजर नहीं आती थीं और 2011 में उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट में बतौर मरीन पायलट काम करना शुरू किया। आज भी इनके अलावा कोई दूसरी महिला मरीन पायलट भारत में नहीं है।
Reshma लहरों से टकराते हुए समुद्री जहाजों को पानी में रास्ता दिखाती हैं। गहरे पानी के बीच संकरे, गहरे, टेढ़े-मेढ़े रास्तों से जहाज निकालना टेढ़ी खीर है, पर यही चुनौती उन्हें पसंद है। उनका कहना है कि हर दिन नया है क्योंकि एक बार आप पानी में उतर गए तो आपको नहीं पता कि अगले पल किस रोमांच से वास्ता होगा। सबसे रोमांचकारी हुगली नदी है, जो भारत की दूसरी नदियों और समुद्र से एकदम अलग है। यहां बहुत संकरे रास्ते हैं। कहां गहराई, कहां चट्टान मिल जाएगा सिर्फ उन्हें पता होता है।
कह सकते हैं जहाज चलाने वाला भले कोई और हो पर वो चलता है Reshma Nilofer Naha जैसे जाबांज मरीन पायलट के इशारे पर। हां, रेशमा जहाज नहीं चलातीं पर जहाज को बंदरगाह तक पहुंचाना और फिर उसे समुद्र तक ले जाने की जिम्मेदारी उनकी होती है। इस क्रम में मौसम का पता केवल उन्हें मालूम है। पानी की राहों से उनकी दोस्ती हो चुकी है। मौसम के मिजाज को वो बारीकी से जान गई हैं। साथ ही, रेशमा कहती हैं कि ये पूरा सफर इतना रोमांच भरा होता है कि वो अपने काम से कभी बोर नहीं हो सकती।
चेन्नई की रहने वाली Reshma Nilofer Naha को डॉक्टर बनना था लेकिन सरकारी मेडिकल कॉलेज में 98 प्रतिशत की अर्हता पूरी न होने के कारण उन्होंने अपनी च्वाइस बदल दी। फिर भी मुख्य धारा से एकदम अलग क्षेत्र में जाने का मन था। वो कहती हैं कि उन्हें ये तो नहीं पता था कि उन्हें मरीन पायलट ही बनना है पर उन्हें कुछ ऑफबीट करना था, जिसमें मजा आए। यही हुआ और उनकी मुराद मरीन पायलट बनकर पूरी हुई।
कैसे आईं इस क्षेत्र में? इस सवाल के जवाब में उनका कहना है कि एक दिन उन्होंने एक लोकल अखबार में एक डेनिश कंपनी का एड देखा। शिपिंग कंपनी थी जिसे एम्प्लॉयी की तलाश थी। यदि आप टेस्ट में सलेक्ट होते तो आपको अपनी तरफ से कुछ खर्च नहीं करना था।
उन्होंने अप्लाई किया और उस नेशनल लेवल टैलेंट एग्जाम में पास हो गई। वह बताती हैं कि कंपनी ने ट्रेनिंग ही नहीं प्लेसमेंट भी दिया। उनके साथ रहकर बड़े जहाज पर रहने और काम-काज के बारे में जानने का मौका मिला। इसके बाद उन्हें नदी-समुद्र के गिरती-उठती लहरों की मौजों से प्यार होता गया।
‘सबको सुविधाएं नहीं मिलतीं। बेहतर परिवार या प्रशिक्षण भी सबको कहां मिलता है। शिकायतें होंगी, आपको मन मुताबिक न मिलने का तंज होगा, लेकिन इससे मिलेगा कुछ नहीं।’Reshma Nilofer Naha यह बात उन महिलाओं से कहना चाहती हैं जो सुविधाएं और अनुकूल माहौल का रोना रोती हैं या आगे नहीं जाना चाहतीं। उनका कहना है कि आपको हर हाल में खुद को मजबूत करना होगा और हवा के रुख के विरुद्घ भी चलना सीखना होगा। ये तभी होगा जब आपके पास होगा आत्मविश्वास नामक हथियार।
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