Seema Rao हैं देश की पहली और एकमात्र महिला कमांडो ट्रेनर
Seema Rao देश की पहली और एकमात्र महिला कमांडो ट्रेनर हैं, जिन्होंने ब्रूस ली के स्टूडेंट ग्रैंड मास्टर रिचर्ड बस्टिलो से ब्रूस ली आर्ट एवं सिद्धांतों को भी आत्मसात किया है। बीते दो दशक में मेहमान ट्रेनर के तौर पर देश सेना के 20 हजार जवानों को मुफ्त ट्रेनिंग दे चुकी हैं। यह सिलसिला अब भी जारी है। देश-दुनिया की करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकीं 50 वर्षीय डॉ. सीमा राव के इसी समर्पण एवं जज्बे को देखते हुए हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति सम्मान-2019 से नवाजा गया है। Dr. Seema कहती हैं कि उम्र तो सिर्फ एक संख्या है, उनके इरादे अब भी फौलादी हैं।
मुंबई में रहने वाली Dr. Seema Rao ने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से इम्युनोलॉजी और डोएन यूनिवर्सिटी से लाइफस्टाइल मेडिसिन का कोर्स किया है। साथ ही, वेस्टमिन्स्टर बिजनेस स्कूल से लीडरशिप संबंधी पढ़ाई भी की। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, वो कॉम्बैट ट्रेनर बन गयीं। उनका कहना है कि स्कूली दिनों में कुछ ऐसे वाकये हुए थे, जिससे वो खुद को काफी असहाय एवं मजबूर महसूस करने लगी थीं। तब उन्होंने निश्चय कर लिया कि कमजोर बनकर नहीं रहना है।
इसके बाद तमाम डर को दरकिनार कर इन्होंने अमेरिका स्थित पैडी से स्कूबा डाइविंग, आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से माउंटेनियरिंग, ताइंक्वाडो इत्यादि का प्रशिक्षण लिया। जब शादी हुई, तो पति मेजर दीपक राव से प्रेरित होकर उनसे मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली। आज वो अनआर्म्ड कॉम्बैट में सेवन डिग्री एवं इजरायली क्रव मागा में फर्स्ट डिग्री की ब्लैक बेल्ट होल्डर हैं। उन्हें एयर राइफल शूटिंग में भी महारत हासिल है। वो कहती हैं कि किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि एक महिला होकर वो जवानों को युद्ध कौशल का प्रशिक्षण दे पाएंगी। लेकिन वो अपनी स्किल्स की बदौलत कॉम्बैट शूटिंग इंस्ट्रक्टर बनने में सफल रही।
जवानों की आंखों में सम्मान देखकर गर्व होता है। Dr. Seema Rao के अनुसार, क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) एक्सपर्ट बनना कहीं से आसान नहीं था। भारतीय सेना के अधिकारियों को कायल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। कई दौर की बातचीत एवं कौशल प्रदर्शन के बाद जवानों को कॉम्बैट ट्रेनिंग देने का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि उन्हें अक्सर पुरुष जवानों को ट्रेन करना होता था। इसलिए उन्होंने अपनी फिटनेस का विशेष ध्यान रखा। समय-समय पर अपनी स्किल्स को अपग्रेड करती रही। सीक्यूबी मेथोडोलॉजी संबंधी सर्टिफिकेशंस हासिल किए। आज जब वो जवानों की आंखों में खुद के लिए सम्मान देखती हैं, तो उन्हें गर्व महसूस होता है।
दरअसल, Dr. Seema के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके प्रभाव के कारण इनके अंदर भी देशसेवा की भावना प्रगाढ़ रही। उसी के तहत वे ट्रेनिंग के एवज में जवानों से कोई शुल्क नहीं लेती हैं। उनका कहना है कि शुरुआत में तो अपनी जमा पूंजी भी लगा दिया करती थी, जिससे कई बार दिवालियेपन की स्थिति पैदा हो जाती थी। बावजूद इसके, उन्हें कभी कोई अफसोस नहीं रहा।
Dr. Seema मानती हैं कि महिलाएं ठान लें, तो कुछ भी कर सकती हैं। उन्हें सिर्फ अपने सपनों का पीछा करना आना चाहिए। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की है। ठिठुरती ठंड, तपतपाती धूप, घने जंगलों से लेकर दुश्मनों के प्रभाव वाले इलाकों में रहकर खुद को हर परिस्थिति के लिए तैयार किया है। उनके शरीर की शायद ही कोई हड्डी है जो टूटी न हो। Dr. Seema Rao एक बार 50 फीट की ऊंचाई से गिर गई थीं। उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ गए। उनका कहना है कि पिता जी के देहांत का सदमा लगा था। अपना फोकस खोने से वो ट्रेनिंग के दौरान सिर के बल गिर गई। सिर में गहरी चोट से महीनों याददाश्त नहीं रही। लेकिन ये सभी उनका हौसला नहीं तोड़ सके। उन्होंने अपने अनुभवों को किताबों और मोटिवेशनल स्पीच के जरिये दूसरों से शेयर करना शुरू किया। कॉरपोरेट्स के अलावा वो शिक्षण संस्थानों में सेशन लेती हैं। पांच बार टेडएक्स इवेंट में शामिल हो चुकी हैं। फेसबुक एवं अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर प्रशंसकों से जुड़ना भी उन्हें अच्छा लगता है।
Dr. Seema Rao ने क्लोज कॉम्बैट को लेकर दुनिया की पहली इनसाइक्लोपीडिया तैयार की है और उसकी करीब 1000 प्रतियां गृह मंत्रालय के साथ-साथ भारतीय सेना को सौंप चुकी हैं। इन्होंने ‘कमांडो मैनुअल ऑफ कॉम्बैट’ भी तैयार किया। ब्रिटेन की महारानी, अमेरिका की एफबीआइ एवं इंटरपोल ने इनकी किताबों को ‘स्वाट’, ‘इंटरपोल’ एवं ‘एफबीआइ’ की लाइब्रेरी में स्थान दिया है|
(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )
बहुत अच्छा लगा मेरे देश का सम्मान हो आप