ITBP की मदद से जनजातीय समुदाय की लड़कियों ने बदली अपनी किस्मत
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का नाम सुनते ही नक्सलवाद की भयावह तस्वीर सामने आ जाती है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र की लड़कियां, वो भी जनजातीय समुदाय से आने वाली, ने ITBP की मदद से कुछ ऐसा काम किया है कि उन्हें पूरे देश की ओर से बधाई मिल रही है।
नक्सल हिंसा के बीच रहने वाली ये लड़कियां बहुत ही गरीब परिवारों से ताल्लुक रखती हैं।उन्हें जूते के फीते तक बाँधने नहीं आते थे। ITBP ने जब इनकी ओर मदद का हाथ बढ़ाया तो इन्होंने भी हाकी स्टिक उठाकर दिखा दिया कि उन्हें मौका मिला तो वो साबित कर देंगी कि वो किसी से कम नहीं|
नारी सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ITBP ने छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाके से पहली बार 2 साल के अथक परिश्रम के बाद लड़कियों की हॉकी टीम तैयार करने में सफलता प्राप्त की है।
ITBP ने कोंडागांव जिले के मरदापाल के कन्या आश्रम में रहकर अध्ययन कर रही 42 जनजातीय छात्रायें, जिनकी उम्र 17 वर्ष से कम थी, को आईटीबीपी ने अपने स्तर पर हाकी का प्रशिक्षण देना शुरू किया था।
अगस्त 2016 से लेकर अभी तक इस विद्यालय में पढ़ रही लड़कियां, जिनके पास खेलकूद से संबंधित कोई ज्ञान नहीं था और कोई प्रेरणा भी नहीं थी। ITBP ने उन्हें प्रेरित कर हॉकी के खेल में आगे बढ़ने के लिए तैयार किया।
मर्दापाल कन्या आश्रम में रह रही लड़कियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नक्सल हिंसा से ग्रसित परिवारों की बच्चियां हैं। इनमें से कई बच्चियों के परिवार बहुत गरीबी की दशा में ज़िंदगी जी रहे हैं।
इन लड़कियों को शारीरिक अभ्यास, फिटनेस और खेल की प्रारंभिक बारीकियों से अवगत कराने के बाद धीरे-धीरे इन्हें हॉकी के मैदान पर उतारा गया। ITBP के हॉकी कोच हेड कांस्टेबल सूर्या स्मिथ जो स्वयं एक हॉकी के अच्छे खिलाड़ी हैं, उन्होंने बालिकाओं को ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी।
ITBP की 41 वीं वाहिनी ने इन बालिकाओं को जूते, हॉकी स्टिक, जर्सी, गोल पोस्ट, गोलकीपर किट और हाकी से संबंधित अन्य सामान उपलब्ध कराया। जब इन बच्चियों को हॉकी के मैदान हेतु तैयार करना शुरू किया गया तब इन्हें जूते के फीते तक बांधने की जानकारी नहीं थी। धीरे धीरे इन्हें इस स्तर तक पहुंचा दिया गया कि अब छत्तीसगढ़ की लड़कियों की टीम और अंडर-17 की टीमों में इन खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिल रहा है।
स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी इनमें से 6 बच्चियों को प्रशिक्षण के लिए चयनित किया है। इन लड़कियों को एस्ट्रो टर्फ पर भी खेलने का मौका भी आईटीबीपी ने अपने स्तर पर दिलाया है। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ से लगे इलाके में जहां सड़कों की स्थिति बहुत खराब है और कई स्थानों पर तो सड़क मार्ग भी नहीं है, वहाँ इन लड़कियों को घर से लाने और छोड़ने तक की ज़िम्मेदारी आईटीबीपी ने उठाई है।
चिकित्सा, शिक्षा और मुख्यधारा से जुड़े अन्य विकास कार्यों की घोर कमी वाले इस क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को हॉकी जैसे खेल में विकसित एवं प्रशिक्षित करने वाले कोच सूर्य स्मिथ कहते हैं कि लड़कियों को आगे भी यू ही मौका मिला तो वे आसमान छू देंगी। ITBP ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण पहल की है।
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