Shibu अंकल की पाठशाला जीत रही है सबका दिल

ट्रैफिक के शोर-शराबे से कुछ हटकर, एक सिग्नल के पास एक रौबदार दिल्ली पुलिस के अफसर कुछ बच्चों के साथ बैठे दिखते हैं। एक पल के लिए कोई भी चौंक जाता है कि क्या हो रहा है यहां.. पर गौर से देखने पर पता चलता है कि वो अफसर उन बच्चों को पढ़ा रहे होते हैं। रोहिणी इलाके के अलग-अलग ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले 50 से अधिक बच्चों में ट्रैफिक पुलिस के सब-इंस्पेक्टर Shibu, शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। उनकी इस पहल से काफी बच्चों ने भीख मांगना छोड़ दिया है।

रोजाना एक घंटे इन बच्चों को शिक्षा देने वाले Shibu को डिपार्टमेंट के बाकी साथियों का भी सहयोग मिल रहा है। इन बच्चों को एजुकेशन देने के साथ-साथ पढ़ाई पर होने वाले खर्च का इंतजाम वो खुद भी करते हैं और अपने डिपार्टमेंट के बाकी स्टाफ की मदद भी ले रहे हैं।
Shibu रोहिणी ट्रैफिक सर्कल में एसआई के पद पर तैनात हैं। वो बताते हैं कि एक साल पहले जब उन्हें रोहिणी एरिया की जिम्मेदारी मिली तो, काफी संख्या में छोटे बच्चे अलग-अलग ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगते हुए दिखे। कई महीनों तक इन बच्चों को काफी समझाने की कोशिश की, साथ में इनके पैरंट्स को भी सख्ती से मना किया, लेकिन कोई असर नहीं दिखा। तब उनके मन में एक आइडिया आया, क्यों न इन बच्चों को शिक्षा देकर जागरूक किया जाए। इस आइडिया पर काम करते हुए, रोहिणी इलाके के 10 से ज्यादा ट्रैफिक सिग्नलों के साथ-साथ आसपास के स्लम एरिया से 50 से अधिक बच्चों को जमाकर एक हफ्ते तक काउंसिलिंग कर एजुकेशन लेने के लिए प्रेरित किया। इनके माता-पिता को बुलाकर भी समझाया, जिसके बाद उन्हें इस मिशन में काफी हद तक कामयाबी मिली।
Traffic inspector Shibu
Photo : TheKidsLogic.com (representable image)
Shibu बताते हैं कि बीते एक साल से वो इन बच्चों को रोजाना एक घंटे पढ़ा रहे हैं| एक साल में इन बच्चों में काफी बदलाव आया है। ये बच्चे अब स्कूल भी जाना चाहते हैं। इसके लिए भी उनकी कोशिश जारी है।
Shibu दो शिफ्ट में बच्चों को पढ़ाते हैं। ट्रैफिक सिग्नल पर रहने वाले बच्चों को रोजाना लंच टाइम दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक पढ़ाते हैं। वहीं झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को हर रविवार 2 से 3 घंटा पढ़ा रहे हैं। शिबू बताते हैं कि लंच टाइम का पूरा यूज बच्चों को पढ़ाने में करते हैं। शिबू के इस जज्बे को देखते हुए आउटर रेंज ट्रैफिक डीसीपी राकेश पावरिया भी इस मुहिम का हिस्सा बन चुके हैं। बच्चों की पढ़ाई पर होने वाले खर्च में डीसीपी के अलावा रोहिणी ट्रैफिक सर्कल के कई स्टाफ उठा रहे हैं। बच्चों के लिए किताबें, कॉपी, कलम, पेंसिल, रबड़ से लेकर कपड़ों का भी इंतजाम कर रहे हैं।
इनमें से ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों के पैरंट्स को लगातार एजुकेशन के लिए प्रेरित किया जा रहा है| अधिकतर बच्चों के मां-बाप अब ये चाहते हैं कि उनके बच्चे भी स्कूल जाएं और अच्छी शिक्षा हासिल करें। कुछ ऐसे भी हैं, जो अब बच्चों को अपने गांव भेजकर शिक्षा दिलाना चाहते हैं।Shibu का कहना है कि इनका मिशन जारी है, उनका ट्रांसफर हो गया है लेकिन उनके साथी इस मिशन को यहां जारी रखेंगे और वो खुद इस अभियान को दूसरी जगहों पर लेकर जाएंगे।
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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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