दिव्यांग Pushpa Rawat ने पैरों के सहारे लिखी अपनी किस्मत

ऋषिकेश की श्यामपुर न्याय पंचायत के ग्राम गौहरीमाफी की निवासी दिव्यांग Pushpa Rawat ने दोनों हाथों से लाचार होने के बावजूद अपने पैरों से अपनी तकदीर लिख डाली और आज वो नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर रही हैं।

Pushpa Rawat का जन्म टिहरी जिले की खास पट्टी के ग्राम जरोला निवासी स्व. गुंदर ङ्क्षसह रावत के घर हुआ। प्रसव वेदना के बाद जब पुष्पा की मां को पता चला कि उसके दोनों हाथ नहीं हैं तो बेटी की उम्र के साथ उनकी वेदना भी बढ़ती चली गई। बेटी अन्य बच्चों के साथ स्कूल जाने की जिद करती, लेकिन स्कूल दूर होने और परेशानियों के कारण उसे स्कूल भेज पाना मुश्किल था| तब स्थानीय संत बाबा गैंडा ङ्क्षसह ने नन्हीं दिव्यांग पुष्पा को पैर का अंगूठा पकड़कर वर्णमाला लिखाने का अभ्यास कराया।

धीरे-धीरे Pushpa पैर से लिखने में पारंगत हो गई। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उनका परिवार श्यामपुर न्याय पंचायत के गौहरीमाफी गांव में आ बसा। यहीं से शुरू हुई उसके संघर्षों की कहानी। छठी कक्षा में प्रवेश लेने जूनियर हाईस्कूल श्यामपुर गई तो प्रधानाध्यापक ने मना कर दिया। लेकिन, पैरों से लिखकर दिखाने पर हिंदी के टीचर डॉ. जगदीश नौडिय़ाल (जग्गू) को लड़की में पढ़ाई का जुनून नजर आया और उन्होंने Pushpa को एडमिशन दिला दिया।

Pushpa Rawat

आठवीं पास करने के बाद जब Pushpa Rawat रायवाला इंटर कॉलेज गई तो तब डॉ. जगदीश नौड़ियाल भी पदोन्नत होकर वहां आ चुके थे। उन्होंने फिर से पुष्पा की शिक्षा का भार उठा लिया। साल 1992 में पत्रकार विनोद जुगलान विप्र के प्रयासों से पुष्पा के संघर्ष की कहानी जब अखबार में छपी तो दिल्ली दूरदर्शन के तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर विनोद रावत ने इसका संज्ञान लिया। उन्होंने अपनी टीम Pushpa के घर भेजकर एक वृत्तचित्र ‘फेस इन द क्राउड’ तैयार कराया और उसका प्रसारण पूरे देश में किया। इसके बाद Pushpa की मदद के लिए लोग आगे आने लगे|

साल 2001 में Pushpa ने पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऋषिकेश से इतिहास विषय में एमए की उपाधि ली। उनके संघर्ष को वर्ष 2003 में तब पंख लग गए, जब उन्हें ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) देहरादून के राजभाषा विभाग में सेवा का मौका मिला। वर्तमान में वो राजभाषा विभाग में प्रथम श्रेणी सहायक के रूप में नियुक्त हैं और अपने सभी दैनिक कार्य पैरों से बखूबी पूरा करती हैं। Pushpa अपने परिवार में तीन बहन-भाइयों में सबसे बड़ी हैं।

दिव्यांग Pushpa Rawat का वृत्तचित्र देखकर श्री भरत मंदिर स्कूल सोसायटी के सचिव हर्षवर्धन शर्मा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सोसायटी की ओर से उसकी शिक्षा-दीक्षा का पूरा जिम्मा उठाया। इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष विद्यालय खोलने का निर्णय भी लिया गया। साल 1993 में बैशाखी के दिन सोसायटी की ओर से ज्योति विशेष विद्यालय की नींव रखी गई थी। जिसे Pushpa ने अपने कर कमलों से रखा।

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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