Sneha बनीं भारत की पहली महिला जिनकी ना कोई जाति है, ना कोई धर्म
पेशे से वकील Sneha, भारत की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिनकी अब ना कोई जाति है और ना ही धर्म है| उन्होंने खुद ये ‘No Caste, No Religion’ सर्टिफिकेट बनवाया है, जिसके लिए उन्हें 9 साल का वक़्त लगा| हाल ही में, 5 फरवरी को स्नेहा को उनका ‘नो कास्ट, नो रिलिजन’ प्रमाणपत्र मिला है | स्नेहा तमिलनाडु, वेल्लोर के तिरूपत्तूर की रहने वाली हैं| Sneha खुद ही नहीं बल्कि उनके माता-पिता भी बचपन से ही सभी सर्टिफिकेट में जाति और धर्म का कॉलम खाली छोड़ते थे|
Sneha ने सूत्रों को बताया कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है| उससे भी ज्यादा, उन्हें बिना जाति और धर्म के खुद की एक अलग पहचान चाहिए थी|
Sneha ने कहा कि उनके सारे प्रमाणपत्रों में कास्ट और रिलिजन के सभी कॉलम खाली हैं| इसमें उनका जन्म प्रमाणपत्र और स्कूल के सभी सर्टिफिकेट्स शामिल हैं| इन सभी में उन्हें सिर्फ भारतीय बताया गया है| उन्हें महसूस हुआ कि सभी एप्लिकेशन में सामुदायिक प्रमाण पत्र अनिवार्य था, इसीलिए उन्हें एक आत्म-शपथ पत्र प्राप्त करना ही था| ताकि वो उन कागज़ों में साबित कर सकें कि वो किसी जाति और धर्म से नहीं जुड़ी हैं| उन्होंने कहा कि जब जाति और धर्म को मानने वालों के लिए प्रमाणपत्र होते हैं तो उनके जैसे लोगों के लिए क्यों नहीं|
Sneha ने साल 2010 में No-Caste, No-Religion के लिए आवेदन किया और 5 फरवरी 2019 को बहुत ही मुश्किलों के बाद उन्हें ये सर्टिफिकेट मिला| अब स्नेहा पहली ऐसी शख्स या महिला बन गई हैं जिनके पास ये प्रमाणपत्र है| अब स्नेहा खुद ही नहीं बल्कि वो अपनी तीनों बेटियों के फॉर्म में भी जाति और धर्म का कॉलम खाली छोड़ती हैं|
Sneha के इस कदम की हर जगह तारीफ हो रही है| खुद साउथ एक्टर कमल हसन ने Sneha और उनके प्रमाणपत्र की फोटो ट्विटर पर शेयर की है|
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Post Writer : Geeta Rana Karki