Shashank Kumar का ‘देहात’ बदल रहा है किसानों की ज़िंदगी
सोच पर किसी की रोक नही, सोच ज़िंदगी बदल सकती है, सोच दुनियां बदल सकती है, बस दिल में कुछ कर गुज़रने की चाह होनी चाहिए, अपने लिए तो सब सोचते है, पर दूसरों के लिए सोचने वालो की सोच कुछ अलग ही होती है। “दिहात ” इस शब्द से पहली चीज़ आपके दिमाग में क्या आती है ? यही ना ! ऐसी जगह जहाँ कोई सुविधाएं न हो,लेकिन Shashank Kumar के देहात ने, देहात में भी सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोई कसर नही छोड़ी| जी हाँ, Shashank की इस अलग सोच ने ख़ुद हमारे प्रधानमंत्री को भी कायल कर दिया है|
छपरा बिहार के मूल निवासी ,पटना IIT से पढ़कर निकले Shashank Kumar ने अपने स्टार्टअप “देहात” से खेती आसान कर दी है| उनके स्टार्टअप का नाम भले ही देहात है, लेकिन देहात में रहने वाले किसान इसके ज़रिए घर बैठे शहर कृषि बाजार से तमाम चीज़े उठा रहे है| बस एक फ़ोन कॉल से किसानों को सारी चीज़े मुहैया कराई जा रही है।
“देहात” के ज़रिये अब तक 52 हज़ार किसानों को सुविधा और 82 युवाओं को रोज़गार भी मिल चुका है| Shashank Kumar ने ऐसा कुछ करने की परिकल्पना 2011 में ही कर ली थी और आज इस ऑनलाइन कृषि बाजार सुविधा से बिहार के 5 डिस्ट्रिक्ट के 52 हज़ार किसान जुड़ चुके हैं| इरादा है की 2020 तक किसानों की संख्या 2.5 लाख हो जायेगी|
Shashank ने ‘देहात’ का पहला सेन्टर बिहार में शरीफ के सोहसराय इलाके में खोला था, जहाँ 82 युवाओं को रोज़गार मिल चुका है| अब तक उनके बेतिया, समस्तीपुर में 134 सेंटर खुल चुके हैं| Shashank के ‘देहात’ की जानकारी जब प्रधानमंत्री को हुई तो वो उन्हें अपने साथ केन्या ले गए थे, वहाँ 2016 में उन्होंने ‘देहात’ को समझ कर भारतीय प्रतिभा की दमदार ब्रांडिंग की थी। ‘देहात’ शुरू करने में Shashank के चार आईआईटियन दोस्तों ने उनका साथ दिया।
*कैसे होता है देहात में काम , कैसे करे इस्तेमाल*
‘देहात’ की सर्विस लेने के लिए पता व फ़ोन नंबर ज़रूरी होता है| सेवा लेने के लिए इछुक किसान को पहले आसान पंजीकरण करना होता है, पंजीकरण करते वक़्त उनके नाम, पते और मोबाइल नंबर फीड किये जाते हैं, कौन सी फसल उगाते हैं, जानकारी के साथ उस खेत की मिट्टी जाँच कराई जाती है, मिट्टी के आधार पर किसानों को प्रेरित किया जाता है| देहात ग्लोबल बाज़ार भी मुहैया करता है।
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