Anirudh Sharma ने खोजा वायु प्रदुषण से निपटने का क्रिएटिव तरीका
हमारा पर्यावरण अनेक समस्याओं से जूझ रहा है, अगर हम सूझ बूझ से कुछ नया अविष्कार करना चाहे तो यह हमारे लिए एक golden chance है। इससे हमारे पर्यावरण को फायदा हो सकता है। हम हमेशा pollution को नाकारात्मक रुप से देखते हैं, पर हम मे से ही किसी एक सकारत्मक सोच रखने वाले ने air Pollution जैसी प्रोब्लम को दैनिक कार्यों मे उपयोग होने वाली air-ink मे तब्दील कर दिया है|
हमने कभी इस प्रदूषण को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की कोशिश ही नहीं की, लेकिन बेंगलोर के 25 साल के Anirudh Sharma ने इस जहरीली धुएं से एक ऐसा creative idea खोज निकाला है, जो pollution के प्रति हमारा नजरिया ही बदल देता है। pollution लोगों के लिए चिंता और बीमारी का सबब है लेकिन बैंगलुरु के इस इंजीनियर के लिए ये काला धुंआ बहुत ही खूबसूरत और उपयोगी है। Anirudh ने इस काले धुएं के कार्बन से एक ऐसा पेन बनाया है जिसकी इंक से हजारों पेंटरों के हाथ से खूबसूरत पेंटिंग बनती है। यही नहीं विदेश में इस ईयर इंक को खूब सराहा जा रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि बेंगलुरु की ग्रैविकी लैब ने अब तक 160000 करोड़ लीटर हवा को पेन की इंक बनाने में इस्तेमाल कर लिया है। उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट को कालिंक नाम दिया है।
क्या है ये कालिंक ?
दरअसल, कालिंक गाड़ियों से निकलने वाले उस काले धुएं से बनता है जो प्रदूषण के नाम पर हवा को जहरीला करता है। बेंगलुरु की लैब ग्रैविकी ने एक ऐसी device बनाई है जिसे अगर गाड़ी के एग्जॉस्ट में लगा दें तो कार से निकलने वाला काला धुआं बगैर mechanical pressure से बाहर निकल जाता है। धुएं के कण अंदर ही रह जाते हैं, लेकिन raw carbon बाहर निकल आता है। कार्बन में से हेवी मेटल्स और हानीकारक particles अलग करके साफ कार्बन बाहर निकाल लिया जाता है। carbon डेली लाइफ मे बहुत काम मे आता है। हम अपनी सूझ-बूझ से हानिकारक चीज़ो से भी डेली यूज़ मे आने वाली चीज़ो का आविष्कार कर सकते है। बस हमे आने वाले problems से घबराना नही चाहिए। जिस तरह Anirudh Sharma ने एक समस्या से निजात पाने के लिए अविष्कार कर एक नई सोच को समाज मे लाने का सफल प्रयास किया है।
2010 में उनके एक अविष्कार लेचल* को काफी सराहा गया। लेचल एक एसा जूता है जिसमे एक मोबाइल फ़ोन लगा है जिसका vibrater आक्षम लोगों में दिशा समझाने में मदद करता है।
कालिंक का अविष्कार air pollution कुछ हद तक कम करने मे कारगर साबित होगा। Anirudh Sharma ने बताया की उन्होने विदेश में रह कर नई टेक्नोलॉजी के बारे में पढाई बेस्टन से की और अविष्कार करने के लिए वहां से अपने देश वापस आ गये।
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