उत्तराखंड के Chamoli में 19 साल के इंतज़ार के बाद लोगों ने खुद की पहल
दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर सरकार की व्यवस्था से तंग लोगों ने खुद ही उन कामों को करना शुरू किया है, जो सरकार से करने की उम्मीद की जाती है।जी हाँ, ऐसा ही कुछ हुआ है उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) स्थित सयूरी मल्ली गांव में, जहां लोगों ने करीब 19 सालों तक अपने गांव में सड़क बनने का इंतजार किया और जब सरकारों की कान पर जूं नहीं रेंगी, तो खुद ही फावड़ा उठाकर सड़क बनाना शुरू कर दिया| कुछ ही दिनों में गांववालों ने करीब 150 मीटर सड़क के लिए पहाड़ खोद डाला|
गांववालों का कहना है कि उन्हें तबसे सड़क का इंतजार है, जबसे उत्तराखंड साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग हुआ था। उन्हें थोड़ी उम्मीद जगी जब नवंबर 2017 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 6 किमी लंबी इस सड़क के लिए 3.77 करोड़ का बजट तय किया और काम का शिलान्यास भी किया, हालांकि यह प्रॉजेक्ट आजतक शुरू नहीं हो पाया। गांव के निवासी राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि लोगों ने बहुत इंतजार किया है। हमारे गांव में 115 परिवार रहते हैं और सड़क ना होने की वजह से सभी काफी दिक्कत झेल रहे थे।
उन्होंने बताया कि उनके गाँव से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 10 किमी की दूरी पर है और स्कूल 15 किमी की दूरी पर। साथ ही, राजेंद्र ने बताया कि गांव के बच्चों को रोजाना कठिन रास्तों से गुजरते हुए स्कूल जाना पड़ता है। इसी वजह से, पहले ही गांव के 50 परिवार वहां से पलायन कर चुके हैं।
ग्राम प्रधान लीला देवी ने कहा कि कई बार सड़क ना होने की वजह से गर्भवती महिलाओं को काफी कुछ झेलना पड़ा। बारिश में कच्चा रास्ता बिल्कुल दुर्गम हो जाता है। उनके पति ध्यान सिंह ने कहा कि गाँव वालों द्वारा किए जा रहे सड़क बनाने के इस काम का मकसद सरकार और प्रशासन को आईना दिखाना है। हो सकता है हम एक अच्छी सड़क ना बना पाएं, मगर वो कम से कम चलने लायक तो होगी|
इस बारे में बात करने पर चमोली (Chamoli) की डीएम स्वाति भदौरिया ने कहा कि ये रोड पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बननी थी, इस प्रॉजेक्ट को बाद में BRIDCUL में शिफ्ट कर दिया गया। उन्होंने अब इसके लिए टेंडर मंगाए हैं, यह जैसे ही होता है वो वहां काम शुरू करा देंगे।
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