12 साल का दिव्यांग Adarsh Kumar, बना लाखों लोगों के लिए आदर्श
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मोहनलालगंज के जूनियर हाई स्कूल कुसमौरा में 7th क्लास में पढ़ने वाला 12 साल का दिव्यांग Adarsh Kumar पैरों से कलम पकड़ कर फर्राटे से लिखता है। चार साल की उम्र में दिमागी बुखार होने के कारण उसके दोनों हाथों ने काम करना बंद कर दिया| उसके माता-पिता की साड़ी उम्मीदें टूट गयीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उसे स्कूल भेजते रहे| वो धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों की मदद से लिखना सिखने लगा|
इस साल जूनियर हाई स्कूल में उसे एडमिशन मिला तो वहां के टीचरों ने भी उसका पूरा खयाल रखा। हर कदम पर उसका हौसला बढ़ाया| इसका नतीजा ये हुआ कि आज Adarsh Kumar पैरों से लिखने के साथ ही गणित के सवाल भी तेजी से हल करने लगा है।
जूनियर हाई स्कूल कुसमौरा में कक्षा छह से आठ तक के करीब 90 बच्चे हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां दो टीचर- सारिका गुप्ता और संदीप कुमार मिश्रा हैं। संदीप ने बताया कि पिछले साल गांव में मजदूरी करने वाले जगन्नाथ व उनकी पत्नी अनीता अपने दिव्यांग बेटे Adarsh को लेकर स्कूल आए।
संदीप ने बताया कि Adarsh जब पहली बार स्कूल आया, तो उसकी कमर का ऊपरी हिस्सा काम नहीं करता था और उसके मुंह से लार भी गिरती रहती थी। उसकी मां ने बेटे को पढ़ाने का आग्रह किया था और साथ ही उसकी मां ने बताया था कि वो पैर से मोबाइल चला लेता है। इसी के बाद उन्होंने सोचा कि मोबाइल चलाने वाला बच्चा पैर से लिख भी सकता है। फिर दोनों टीचरों ने पूरी कोशिश की और अब Adarsh Kumar पैर से हिन्दी और अंग्रेजी में आराम से लिख लेता है। मैथ्स के सर्किल और जोड़-घटाना भी उसे आता है।
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