Jyotinivas Kumar Sinha का मज़ाक उड़ाने वालों ने भी माना उन्हें फ़रिश्ता
पटना के बाहरी इलाके में एक आवासीय स्कूल में 460 छात्रों के लिए, इस साल गणतंत्र दिवस समारोह बहुत ही खुशखबरी लेकर आया। बिहार के गंदगी-गरीब दलित मुसहर समुदाय से आने वाले छात्रों को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि इस अनोखे स्कूल के संस्थापक-अध्यक्ष, Jyotinivas Kumar Sinha को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
2005 में Jyotinivas Kumar Sinha द्वारा स्थापित किया गया स्कूल Shoshit Samadhan Kendra (SSK), गरीब से गरीब लोगों के लिए पूरी तरह से मुफ्त, अंग्रेजी-माध्यम की शिक्षा प्रदान करता रहा है।जैसे ही स्टूडेंट्स ने बधाई देने के लिए उन्हें घेरा और उनका मोबाइल फोन बजता रहा, 73 वर्षीय सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी Sinha, मुस्कुराते रहे और ‘थैंक यू’ कहते रहे।
1967 बैच के बिहार-कैडर के आईपीएस अधिकारी Jyotinivas Kumar Sinha, जो रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के विशेष सचिव के रूप में 2005 में रिटायर्ड हुए ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके काम को पहचान मिली है। यह सम्मान उन्हें जरूरतमंदों के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार के बड़े काम की याद दिलाता है, जो हमारे सामने है।
रिटायरमेंट के तुरंत बाद, उन्होंने दिल्ली में अपना फ्लैट बेच दिया और पटना लौट आए क्योंकि वो समाज को “कुछ ठोस, सार्थक योगदान” देना चाहते थे। जब उन्होंने पटना के आसपास मुसहर बस्तियों का दौरा करना शुरू किया, तो वहां के गरीब परिवारों को अपने बच्चों को उनके नि: शुल्क स्कूल भेजने के लिए मनाने के लिए, उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया और उनके दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया| लेकिन अब, Sinha के स्कूल के एक दर्जन से ज्यादा मुसहर स्टूडेंट्स उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और आज,समाज उन्हें एक फ़रिश्ते के रूप में मानता है।
प्रेम कुमार, जो पटना के पास पुनपुन के निवासी हैं ने फ्लॉलेस अंग्रेजी में बताया कि उनके माता-पिता बहुत गरीब हैं और वो नहीं चाहते थे कि वो स्कूल जाए। लेकिन सर (Jyotinivas Kumar Sinha) के लोग उन्हें मनाने में कामयाब रहे और इसलिए वो आज 9th स्टैण्डर्ड में है| जहानाबाद के दसवीं क्लास के स्टूडेंट सचिन कुमार ने कहा कि उनके जैसे मुसहर बच्चों को मुफ्त भोजन और कपड़े के साथ-साथ अंग्रेजी माध्यम में मुफ्त शिक्षा और कहीं नहीं मिल सकती है|
Sinha ने 2007 में दिल्ली स्थित एनजीओ समधन की वित्तीय मदद से एक किराए के भवन में स्कूल शुरू किया, जिसमें 16 लड़कों का एक बैच स्पॉन्सर्ड था। इस पहल को जल्द ही भारत और विदेशों में संस्थागत और कॉर्पोरेट फंड से मदद मिली। एनजीओ 2015 में शिवाला में दो एकड़ के परिसर में अपनी वर्तमान दो मंजिला इमारत में चला गया।
उनकी पत्नी प्रतिभा सिन्हा, जो स्कूल के शैक्षणिक और प्रशासनिक कामकाज की देखरेख करती हैं, ने कहा कि वो एक अथक व्यक्ति हैं, जिन्होंने मुसहर बच्चों को बेहतर भविष्य प्रदान करने में मदद करने की कसम खाई है।
SSK, जो नर्सरी से XII स्टैण्डर्ड तक की क्लासेज चलता है, अपनी नर्सरी के स्टूडेंट्स के एनुअल-इन्टेक को वर्तमान 50 से अगले साल 100 तक बढ़ाने की योजना बना रहा है।Jyotinivas Kumar Sinha ने अगले पाँच सालों में स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ाकर 1,000 करने की भी योजना बनाई है।
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