IAS Kiran Kaushal गाँव के बच्चों और लोगों के लिए बनी वरदान

शांति, प्रीति और पूनम मंगलवार को अपने पैर गीले किये बगैर और अस्थायी टिन-ड्रम नावों से हाथों में होने वाले दर्द से थके बिना घर पहुँचे| दरअसल, ये टिन-ड्रम नाव ही अब तक उनके स्कूल और रायपुर से लगभग 120km दूर उनके पैतृक गाँव राहा तक परिवहन का एकमात्र साधन थीँ| अपने दैनिक कार्यक्रम के बाद, बालोद जिला कलेक्टर Kiran Kaushal ने उन्हें एक मोटरबोट और लाइफ-जैकेट्स गिफ्ट कीं|

Kiran Kaushal
photo : facebook.com

जब ये स्कूली लड़कियाँ और उनके दोस्त, अरजपुरी गाँव में बाँध जलाशय के किनारे वापिस आये जहाँ कि उन्होंने अपनी ’नावें’ बाँधी थीं, तो उन्होंने एक inflatable मोटरबोट और दो होमगार्डों को उनको घर ले जाने के लिए उनका इंतज़ार करते देखा। कलेक्टर Kiran Kaushal उन्हें इस मौज़ भरी राइड में जाने देखने के लिए खड़ी थीं| मोटरबोट से उतरते ही लड़कियों के चेहरों पर मुस्कराहट थी| उन्होंने कहा कि उन्हें कभी भी इतना अच्छा महसूस नहीं हुआ | शांति क्लास 12th में, प्रीति क्लास 10th और पूनम क्लास 8th में है|

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कलेक्टर की दरियादिली से खुश, गाँव के बुजुर्गों ने उन्हें कहा कि गाँव में एक मोटरबोट नहीं चल सकती है और उसके बदले उन्होंने एक उचित चप्पू वाली नाव बनाने का अनुरोध किया है। IAS Kaushal ने सहमति व्यक्त की है और ब्रांड-नई शीसे रेशा नौकाएं बनने को तैयार हैं। उन्होंने कहा क़ि तब तक, बच्चे और ग्रामीण मोटरबोट का उपयोग कर सकते हैं| साथ ही उन्होंने कहा कि इसका पूरा खर्च प्रशासन द्वारा भुगतान किया जायेगा| सालों से, बच्चों के लिए स्कूल जाना उनके लिए परीक्षण रहा है। उनके माता-पिता खाली तेल टिन, रस्सियों और लकड़ी की मदद से एक-व्यक्ति राफ्ट का निर्माण करते हैं| इन राफ्टों पर सावधानी से बैठकर बच्चे छोटे-छोटे पैडल के साथ खरखरा डैम जलाशय की दूसरी ओर जाया करते हैं|

Kiran Kaushal
Photo : timesofindia.indiatimes.com

उनकी दुर्दशा का पता चलने के बाद, बालोद कलेक्टर Kiran Kaushal ने रहाता का दौरा किया और उनके लिए अपने दैनिक संघर्ष को देखा।वो सोमवार को निवासियों की शिकायतों को सुनने के लिए अपनी टीम के साथ गाँव गयीं थीं| उन्होंने कहा कि उन्हें किराने की खरीदारी और अन्य दैनिक जरूरतों के लिए अरजपुरी गांव तक पहुंचने के लिए तेल के डिब्बे से बनी नावों पर खरखरा बांध के जलाशय को पार करना पड़ा| कलेक्टर ने कहा कि उन्होंने गाँव वालों को एक मोटरबोट और दो होमगार्ड प्रदान किए हैं, जो लड़कियों और ग्रामीणों को सुरक्षित रूप से नदी पार करने में मदद करेंगे। साथ ही उन्हें लाइफ जैकेट भी दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पैडल वाली फाइबर नौकाएं 15 दिनों के अंदर गाँव वालों तक पहुंच जाएंगी|

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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