अपने जज़्बे से Ganauri पहुँचे खेत से स्टूडियो

70 साल के Ganauri Ram का मानना है कि कोई भी इंसान काम से नहीं बल्कि सोच से थकता है| इसी साल अगस्त से उन्होनें रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में परिदर्शक(observer) के तौर पर अपना काम शुरू किया है| वो आकाशवाणी, रांची में कांट्रॅक्ट पर कृषि परामर्श (agriculture consulting) की सेवाएं दे रहे हैं|

उम्र के इस पड़ाव में भी वो कुछ नया सीखना चाहते हैं| उनका यही जज़्बा, उनपर उम्र का कोई असर नहीं पड़ने देता| मूल रूप से पलामू जिले के पांकी के रहनेवाले Ganauri Ram के पिता रामेश्वर राम, डाल्टेनगंज नगरपालिका में दिहाड़ी मजदूर थे| आठ-भाई बहनों में सबसे बड़े Ganauri को उनकी मां सूरती देवी महीने में एक रुपया बचा कर गांव के तालकेश्वर महतो से पढ़वाती थीं| मगर, आर्थिक तंगी के कारण उन्हें चौथी क्लास में पढ़ते हुए ही घरों में काम करना पड़ा| 7वीं क्लास के बाद उनकी पढ़ाई छूट गयी| फिर एक टीचर देवेंद्र सिंह की मदद से उनकी दोबारा पढ़ाई शुरू हुई और 1965 में उन्होनें मैट्रिक पास किया| इसके बाद, 1968 में कृषि शिक्षा पर्षद, बिहार से अग्रिकल्चर में डिप्लोमा करने के बाद केवल पांच रुपये महीना पर, वो रांची स्थित रामकृष्ण मिशन के दिव्यायन केंद्र में agriculture consultant के पद पर काम करने लगे|

उन्होनें 1965 में मैट्रिक, 1972 में इंटर, 1988 में ग्रेजुएट, 1999 में एमए और 2006 में हिंदी में पीएचडी के इनिशियल एग्ज़ॅम पास किए| उनका कहना है कि उनकी शिक्षा में उनकी धर्मपत्नी जसोमती देवी का बहुत बड़ा योगदान है| हर 10 और 12 साल में एक डिग्री प्राप्त करनेवाले Ganauri ने गांव-गिरांव के युवाओं को आगे बढ़ाने से लेकर juvenile welfare में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है|

Ganauri Ram हमेशा दूसरों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं| निगेटिव बातों में दिलचस्पी ना लेते हुए, वो हमेशा पॉजिटिव बातों को अपनाने पर जोर देते हैं|

Ganauri Ram
Photo : prabhatkhabar.com

खेती पर ज़रूरी किताबों को लिखने का श्रेय भी गनौरी राम को जाता है| खेती पर उनकी 12 से ज़्यादा किताबें हैं, जो किसानों के लिए काफ़ी मददगार हैं| इसके अलावा उन्होंने आकाशवाणी पर खेती-किसानी पर परिचर्चा आयोजित करने, किसानों को सम्मानित करने और किसान क्लब बनाने का काम भी किया है|

रांची स्थित रामकृष्ण मिशन के दिव्यायन केंद्र में कृषि अनुदेशक पद पर काम करते हुए उन्होंने 1969 से 1972 तक करीब एक हजार युवकों को विभिन्न ट्रेडों में ट्रेनिंग भी दी| 1973 से 1978 तक उन्होनें किसानों को जागरूक करने संबंधी कई काम किये| 1978 से 1982 तक लोहरदगा के अनुमंडल कृषि कार्यालय में वीएलडब्ल्यू के तौर पर उन्होनें कई गांवों में ग्रामीण व कृषि विभाग की योजनाओं को संचालित किया और जून 1982 से फरवरी 1994 तक वो आकाशवाणी के फार्म रिपोर्टर रहे|

Ganauri Ram साल 2008 में आकाशवाणी से रिटायर्ड हुए| रिटायर्ड होने के बाद, वो 2011 से 2013 तक लोहरदगा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष रहे| अगस्त 2014 से जून 2018 तक किशोर न्याय बोर्ड, रांची के सदस्य के तौर पर उन्होनें 885 मामलों के निबटारे में भी मदद की|

Ganauri Ram, आकाशवाणी के फार्म रिपोर्टर रहे हैं, इसलिए वे कहते हैं कि उनका जीवन तो खेत से स्टूडियो तक है| आकाशवाणी के कृषि रिपोर्टर के तौर पर बेहतर काम करनेवाले Ganauri Ram को झारखंड सेवा रत्न अवार्ड, 2018 से भी सम्मानित किया गया है| विश्व सेवा परिषद की ओर से 21 अक्तूबर को रांची में उन्हें ये सम्मान दिया गया|

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Geeta Rana

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