26/11 हमले में घायल नेवी कमांडो Praveen Teotia की एक और सफ़लता
26 नवंबर के हमलों के 10 साल बाद, जिसमें कि 166 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन कुछ Praveen Teotia जैसे heroes भी थे जो वापस लड़े और आज भी देश को अपनी सेवा दे रहे हैं|
26 नवंबर, 2008 की रात को दक्षिण मुंबई के ताजमहल पैलेस होटल जाने के कुछ ही घंटों पहले, marine commando Praveen Teotia दक्षिण मुंबई में एक पर्यटक पसंदीदा कैफे के बगल में एक मोबाइल दुकान मालिक के साथ बात कर रहे थे और ये उन्हीं में से एक जगह थी, जहाँ उन पाकिस्तानी आतंकवादियों ने उस रात कई स्थानों पर आतंकवादी हमले किए थे।
Teotia, जो कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से हैं, को आज भी याद है कि उसी वक़्त MARCOS (formerly the Marine Commando Force) लौटे थे| उनकी यूनिट के बाकी लोग जहाँ मैच देखने की तैयारी कर रहे थे, Teotia ने नाइट-शिफ्ट में जाने से पहले थोड़ा आराम करने का सोचकर सो गये| लेकिन उठने पर उनको ये पता चला कि आतंकवादियों ने साउथ मुंबई में आतंक मचाकर कई सीनियर पुलिस ऑफिसर्स को मार दिया है| यही वो वक़्त था, जब उन्हें एहसास हुआ कि देश की रक्षा करने का समय आ गया है| Teotia ने कहा कि एक नेवी पर्सन होते हुए वो ऐसी ही opportunities का इंतज़ार करते थे और अब वो वक़्त आ चुका था|
Praveen Teotia, 18 साल की उम्र में साल 2002 में Indian Navy में शामिल हुए थे| 26 Nov, 2008 को उन्हें उनकी यूनिट की 29 marines के साथ एक रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ताज महल पॅलेस होटेल भेजा गया था| Teotia पॉइंट मैन थे, यानी कि होटेल में जाने वाली थर्ड-टीम के हेड| वो सेकेंड फ्लोर के डाइनिंग हॉल तक पहुँचने में सफल हो गये, जहाँ पर कि आतंकवादियों के होने की खबर मिली थी|
उन्होनें अपनी दाईं तरफ से मुश्किल से 7-8 कदम ही आगे बदाए होंगे कि उन्हें AK-47 की 2 सेफ्टी कॅचस की आवाज़ आई| बंदूक से निकली उन 2 फाइयर ने उनका बाँया कान उड़ा दिया| लेकिन उन्होनें गिरने से पहले 3-4 राउंड फाइयर किए, जिससे एक आतंकवादी घायल हो गया|
बंदुकी जुंग जारी रही और Teotia के सिने में एक गोली लगी और उनका बाँया गाल, फेफड़ा और कान बुरी तरह से डॅमेज हो गये| जब आतंकवादी होटेल के किचन की दूसरी तरफ से बाहर निकल गये, तो उन्होनें बाहर निकालने की कोशिश की और उसके बाद उन्हें नहीं याद कि क्या हुआ| बस उन्हें इतना याद है कि उसके अगले दिन वो हॉस्पिटल में थे|
Praveen Teotia को 5 सर्जरीस से गुज़रना पड़ा और उन्हें सुनाई देना भी आधी तरीके से बंद हो गया था| साल 2009 में, आख़िर 5 महीने बाद उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी| डॉक्टरों का कहना था कि ये चमत्कार ही है जो वो बच गये| जब उन्होनें दोबारा अपना काम शुरू किया तो उन्हें desk job दी गयी और उन्हें Shaurya Chakra से भी सम्मानित किया गया|
डेस्क-जॉब में परेशानी होने के बाद एक मेडिकल चेकअप के बाद उन्हें वजन कम करने की सलाह पर उन्होनें 2014 से marathons में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया| साल 2017 में उन्होनें marathons में participate और training के लिए छुट्टी ना मिलने पर voluntary retirement ले लिया|
तब से Praveen Teotia, Khardung La Challenge (the highest ultra marathon in the world) जैसे कठिन चॅलेंजस में participate कर रहे हैं और उन्होनें 2018 में साऊथ अफ्रीका में हुए 2018 Triathlon Championships में Ironman title भी जीता है| हालांकि, वो अब naval uniform नहीं पहनते हैं, लेकिन उनका कहना है कि वो आज भी देश की सेवा कर रहे हैं|
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