Jalaram Bapa एक ऐसा मंदिर, जो कुछ लेता नहीं सिर्फ़ देता है
संत जलाराम बापा (Jalaram Bapa) मंदिर गुजरात के राजकोट ज़िले के वीरपुर गांव मैं स्थित है| ये गांव राजकोट शहर से करीब 52 किलोमीटर की दूरी पर है| ये मंदिर विश्व का पहला और आखरी मंदिर है, जहाँ आप किसी भी प्रकार की भेंट नहीं चढ़ा सकते, चाहे वो भेंट पैसे, मिठाई या फूल या किसी भी प्रकार की हो।
जलराम बापा (Jalaram Bapa) का मुख्य मंदिर भगवान राम, भगवान हनुमान, सीता और लक्ष्मण और डंडा और झोली की मूर्तियों के साथ, वीरपुर में उनके आवास परिसर में स्थित है। मुख्य आकर्षण हालांकि जलाराम बापा की काली और सफेद तस्वीर है, जो उनकी मृत्यु से एक साल पहले ली गयी थी।
ऐसा माना जाता है कि रामभक्त संत जलाराम बापा (Jalaram Bapa) इस गांव मैं हर धर्म और जाती के लोगों को खाना खिलाते थे इसलिए ये मंदिर हमेशा से लोगों को भोजन खिलाते आ रहा है| परन्तु साल 2000 से मंदिर के ट्रस्ट ने हर प्रकार की भेंट स्वीकार करना बंद कर दिया और आजतक साल के पुरे 365 दिन हज़ारो लोग मंदिर में आते हैं पर कोई भूका नहीं जाता।
जलाराम बापा फैमिली के सदस्य 84 साल के जयसुकराम बापा का कहना है कि उन्होनें 18 साल पहले donation लेना बंद कर दिया है| वो अब सिर्फ़ लोगों को सच्चे और पूरे दिल से भोजन कराते हैं| संत जलाराम बापा (Jalaram Bapa) का दर्जा गुजरातियों के लिए भगवन जैसा ही है और इनके मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में बने हुए हैं।
आज के युग में जहाँ सारे धर्म स्थल पैसे कमाने के होड़ में लगे हुए हैं, संत जलाराम बापा (Jalaram Bapa) एकमात्र मंदिर है जो कुछ मांगता नहीं पर देता है| अपने भक्तों को संत जलाराम बापा की परंपरा को बरकररार रखते हुए कुछ लोग परदे के पीछे से काम कर रहे हैं और इस मंदिर को चला रहे हैं और भक्तों को हर रोज हर समय भोजन खिला रहे हैं। इस मंदिर में कोई भी दानपात्र तक नहीं है|
इस मंदिर को देखकर एक अद्भुत अनुभव होता है कि इस दुनिया में अच्छे लोग भी हैं जो आज भी निःस्वार्थ मन से एक धर्म स्थल चलाकर हर वर्ग के लोगों की सेवा करना चाहते हैं।
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