अंधेरी ज़िंदगियों को रोशन कर रहे हैं Bhushan Punani
अगर समाज़ में बदलाव लाने की इच्छा किसी के मन में हो, तो उसकी मेहनत और किस्मत दोनों रंग लाती है| कुछ ऐसी ही कहानी है 64 साल के Bhushan Punani की| IIMA से MBA Bhushan को कड़ी मेहनत और संघर्ष ने वो बनाया, जो वो आज हैं|
उनके पिता की सीख ने उन्हें कुछ ऐसा करने के लिए inspire किया, जो आज तक दिव्यांगजनों (person with disability) के लिए किसी ने नहीं किया था| अहमदाबाद के ब्लाइंड पीपल्स असोसियेशन में प्रॉजेक्ट मॅनेजर के तौर पर काम कर रहे Bhushan की अक़्लमंदी का ही नतीजा है कि संस्थान आज 16 कैम्पस के साथ हर प्रकार के दिव्यांग की मदद कर रहा है|
1982 में गुजरात के ढोलका से Bhushan Punani ने अपने पहले प्रॉजेक्ट की शुरूवात की| इसके बाद कर्नाटक के चिक्मगलूर में दूसरा प्रॉजेक्ट शुरू किया| सीबीआर के तहत वो एक असोसियेशन के साथ मिलकर काम करते हैं, जो उन्हें local level पर मदद कर सके| ये संस्था local level पर ऐसे ज़रूरतमंद दिव्यांगजनों और शारीरिक रूप से कमज़ोर लोगों की पहचान करती है|
इसके बाद उन्हें skill training, employement training और अन्य कामों में trained कर उन्हें अपने पैरों में खड़ा होने में मदद करती है| 3 साल तक Blind People’s Association (BPA), local association को फंड के साथ फील्ड-वर्कर्स को ट्रेनिंग भी देती है| Bhushan Punani के काम और उससे लाभान्वित लोगों को देखते हुए, उन्हें 12th Planning commission में भी शामिल किया गया था|
(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )