Langar Baba ने भूखों का पेट भरने के लिए लूटा दी करोड़ों की दौलत
83 साल के Jagdish Lal Ahuja (Langar Baba) ने भूखों का पेट भरने के लिए वो काम किए हैं जिनके बारे में आम इंसान सोच नहीं सकता। इस शख्स ने भूखे लोगों का पेट भरने के लिए अपनी जिंदगी भर की कमाई खर्च कर दी। कोई भूखा न रहे ये सुनिश्चित करने के लिए उन्होनें अपनी तमाम प्रॉपर्टी बेच दी। मकसद सिर्फ एक था, कोई भी गरीब भूखे पेट न सोए। ‘लंगर बाबा’ (Langar Baba) के नाम से जाना जाने वाला ये फरिश्ता चंडीगढ़ में पिछले 17 सालों से गरीबों का पेट मुफ्त में भर रहा है।
Jagdish Lal, कैंसर से पीड़ित हैं और किसी समय करोड़पति थे| 17 साल से लंगर लगा-लगाकर आज ये कंगाली के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन किसी को भूखा नहीं सोने देते हैं|
Jagdish Lal Ahuja का जन्म आज से 83 साल पहले पेशावर में हुआ था, जो आज पाकिस्तान में है। 1947 में देश के बंटवारे के चलते जब वो पटियाला आए, तो उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 12 साल थी। जिंदा रहने के लिए कुछ करना जरूरी था, तो उन्होंने उस छोटी सी उम्र में टॉफियां बेचकर अपना गुज़ारा करना शुरू किया। 1956 में जब वो चंडीगढ़ आए, तो उनके जेब में कुछ ही रुपये थे। यहां उनका केले का कारोबार खूब फला-फूला और पैसे की कोई कमी न रही। जगदीश आहूजा ने जबसे लंगर शुरू किया तबसे उनके सामने कई बार आर्थिक परेशानियां आईं, लेकिन लंगर नहीं रूका। लंगर चलता रहे, इसके लिए Langar Baba ने मेहनत से जुटाई अपनी संपत्तियों को एक-एक कर बेच दिया।
17 साल से Jagdish Lal, बिना किसी छुट्टी के पीजीआई के बाहर दाल, रोटी, चावल और हलवा बांट रहे हैं| जो लोग उन्हें जानते हैं, उनका कहना है कि आहुजा ने एक से डेढ़ हजार लोगों को गोद ले रखा है।
Ahuja कहते हैं कि सर्दी हो या गर्मी लेकिन कभी भी उनका लंगर बंद नहीं हुआ। Ahuja की उम्र 83 साल हो चुकी है। पेट के कैंसर से पीड़ित हैं, इसलिए ज्यादा दूर चल नहीं पाते। इसके बावजूद लोगों की मदद करने में उनके जज्बे का कोई मुकाबला नहीं है। मरीजों और जरूरतमंदों के बीच में वे बाबा जी के नाम जाने जाते हैं। कई जरूरतमंद मरीजों को वे आर्थिक मदद भी मुहैया कराते हैं।
Ahuja के लंगर का सिलसिला आज से 35 साल पहले उनके बेटे के जन्मदिन पर शुरू हुआ था। जन्मदिन पर उन्होंने सेक्टर-26 मंडी में लंगर लगाया था| लंगर में सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी। खाना कम पड़ने पर पास बने ढाबे से रोटियां मंगाई। उसके बाद से मंडी में लंगर लगने लगा। जनवरी 2000 में जब उनके पेट का ऑपरेशन हुआ तो उन्होनें पीजीआई के बाहर लोगों की मदद करने का फैसला लिया। तब से ये सिलसिला कभी नहीं रुका|
आज इस ‘लंगर बाबा’ (Langar Baba) की वजह से रोजाना लगभग 2 हजार लोग अपना पेट भरते हैं। जगदीश ने कसम खाई है कि जबतक वो जिंदा रहेंगे, तबतक उनका लंगर चलता रहेगा और भूखों का पेट भरता रहेगा। वो सिर्फ लंगर ही नहीं चलाते, बल्कि समय-समय पर गरीबों में कंबल, स्वेटर, जूते और मोजे भी बांटते रहते हैं।
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