Geetika Joshi द्वारा पहाड़ी स्कूलों का हुआ सुंदर रूपांतरण

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत ब्लॉक में मार्च,2015 में Geetika Joshi की बतौर डेप्युटी एजुकेशन ऑफीसर पोस्टिंग हुई थी| इस पहाड़ी इलाक़े में उस वक़्त खूब ठंड पड़ रही थी| उनके ऑफीस के पास ही एक सरकारी स्कूल था| जायज़ा लेने के लिए जब वो उस स्कूल में गयीं, तो वहाँ की हालत देखकर दंग रह गयीं| बच्चे ठंड से काँप रहे थे, दरअसल उनकी इस हालत का ज़िम्मेदार सिर्फ़ मौसम ही नहीं बल्कि उनका पुराना जर्जर स्कूल भी था| छत से बारिश का पानी तपाक रहा था और सीलन और बदबू के बीच बच्चे पढ़ने को मजबूर थे| Geetika से ये देखा नहीं गया| पहले तो उन्होनें स्कूल को सरकारी मदद से ठीक कराने का सोचा, लेकिन ये एक लंबा process था| इसलिए उन्होनें खुद अपने पैसों से उस स्कूल को ठीक कराने का फ़ैसला किया और जल्द ही उन्होनें ऐसा कर भी दिया|

Geetika Joshi
Photo : facebook.com

इस छोटी सी पहल से उन्हें एहसास हुआ कि पहाड़ी जिलों और राज्यों में ना जाने ऐसे कितने स्कूल होंगे जहाँ बच्चे ऐसे पढ़ने को मजबूर होंगे| उन्होनें सोचा कि उनका काम करने का एक दायरा है, इसलिए हर जगह जाकर वो स्कूलों की दशा नहीं बदल सकती हैं| लेकिन उन्होनें सोचा कि वो एक मुहिम चला सकती हैं| यही सोचकर उन्होनें स्कूलों के टीचर्स को motivate करना शुरू किया|

Geetika Joshi
Photo : TBI.com

उन्होनें टीचर्स को समझाया कि जिस स्कूल की बदौलत उनकी आमदानी हो रही है, उसको ठीक रखना सरकार के साथ-साथ उनकी भी ज़िम्मेदारी है| उनकी बातों का बहुत से टीचर्स पर positive impact हुआ| उन लोगों ने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार काम करना शुरू कर दिया| साथ उन लोगों ने Geetika Joshi के साथ मिलकर स्कूल में आने वाले गाईब परिवार के बच्चों के लिए sweaters का इंतज़ाम भी किया, क्यूंकी उन्हें पता था कि वो लाख अच्छी बिल्डिंग बना लें, पर पहाड़ की कंपकँपाती ठंड में पर्याप्त गरम कपड़ों के बच्चे पढ़ाई नहीं कर सकते|

Geetika Joshi
Photo : hindustantimes.com

उनकी मुहीम को बड़ा सहारा तब मिला, जब उनके इलाक़े एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी हिमांशु खुराना ने उस चमचमाते स्कूल का सौरा किया, जिसे Geetika ने सँवारा था| वो उनके काम से बहुत प्रभावित हुए और उन्होनें Geetika को प्रतिनिधियों और व्यापारियों से जन-कल्याण हेतु मदद लेने की सलाह दी|

Geetika Joshi Pandey
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उन्हीं के मार्गदर्शन से Geetika ने ‘रूपांतरण’ योजना शुरू की, जिसका मकसद सरकारी स्कूलों का जीवन उद्धार है| इसके लिए उन्होनें एक नया बैंक ख़ाता खुलवाया, जिसमें कोई भी मददगार धनराशि जमा करा सकता है| उम्मीद के मुताबिक कई लोगों ने उनकी आर्थिक मदद की| रानीखेत के विधायक से लाखों की धनराशि मिलने के बाद, उन्होनें अपना काम जारी रखा और स्मार्ट क्लास बनवाई| लोग खुशी-खुशी उनकी मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं| अल्मोड़ा के 57 ऐसे स्कूल हैं, जहाँ Geetika Joshi का काम देखा जा सकता है|

Geetika Joshi
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Geetika का मानना है कि सिक्षा ही ऐसा क्षेत्र, जिसके लिए दान करने पर भविष्य में ऐसी स्थिति लाई जा सकती है कि समाज में किसी को किसी के लिए दान करने की ज़रूरत ना पड़े|

#NeklInIndia

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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