Sarath Babu ने अपनी इच्छाशक्ति से किया मुकाम हासिल
फूड किंग कंपनी के फाउंडर और सीईओ Sarath Babu ने ज़िंदगी में ऐसे दिन भी देखें हैं, जब उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए बेहन के गहने गिरवी रखने पड़े थे| इसके बावजूद उन्होनें अपने सपनों को पूरा करने के आत्मविश्वास की बदौलत करोड़ों की कंपनी खड़ी कर ली है|
कामयाबी की राह में अभावों को आड़े नहीं आने देने वाले Sarath Babu का जन्म चेन्नई स्थित मदिपक्कम में हुआ| उनका परिवार ग़रीब था और घर चलाने की पूरी ज़िम्मेदारी उनकी माँ पर थी| अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए वो दिन-रात मेहनत करती थीं| उनकी माँ एक आँगनवाड़ी वर्कर थीं और उसके अलावा इडली बेचने के साथ-साथ कई दूसरे काम भी करती थीं| पढ़ाई के साथ-साथ Sarath अपनी माँ की मदद भी करते थे और उनके साथ इडली बेचने भी जाते थे|
10th क्लास के बाद फीस के पैसे देने के लिए उन्होनें बुक-बाइंडिंग का काम शुरू किया| 12th के बाद Sarath को बिड़ला इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नालजी एंड साइन्स (बिट्स), पिलानी में अड्मिशन मिल गया, लेकिन वहाँ फीस बहुत ज़्यादा थी| ऐसे में उनकी शादीशुदा बेहन ने अपने गहने गिरवी रखकर उनके फर्स्ट सेमेस्टर की फीस का इंतजाम किया| दूसरा सेमेस्टर आने तक Sarath को स्कॉलरशिप मिल गयी, जिसकी पहली किस्त से उन्होनें अपनी बेहन के गहने छुड़ाए|
पढ़ाई के दौरान Sarath ने हमेशा लर्निंग अप्रोच रखी| बिट्स से डिग्री लेने के बाद उन्हें चेन्नई की पोलारिस सॉफ़्टवेयर लैब में जॉब मिल गयी| जॉब के साथ ही उन्होनें कैट की तैयारी शुरू कर दी| थर्ड अटेंप्ट में उन्हें आईआईएम अहमदाबाद में अड्मिशन मिल गया| फिर Sarath ने लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़ खुद का बिज़्नेस करने का डिसिशन लिया|
2006 में उन्होनें अपनी कंपनी शुरू की| शुरूवात में उन्होनें दूसरी कंपनियों में चाय, कॉफी और नाश्ता सप्लाई किया| फिर उन्होनें अपना बिज़्नेस बड़ा किया| इसके बाद उन्होनें कई जगह फूड किंग कैटरिंग सर्वीसज़ नाम से रेस्टोरेंट खोले| उन्होनें 2010 में हंगर फ्री फाउंडेशन की शुरूवात की| यही नहीं, Sarath Babu ने पॉलिटिक्स में भी खुद को आज़माया|
(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )