Initiative Arth की मदद से अब अंतिम-संस्कार होंगे प्रदूषण-मुक्त
IIT दिल्ली के 40 स्टूडेंट्स की एक टीम ने अंतिम संस्कार के दौरान इस्तेमाल होने वाली लकड़ी को cow dung “logs” के साथ बदलकर, वायु प्रदूषण से लड़ने का एक नया तरीका तैयार किया है|
ये “environment-friendly technique” लकड़ी पर निर्भरता को कम करके, वनों की कटाई को कम करने की भी कोशिश करती है। ग्रूप के एक मेंबर फराज मजहर ने कहा कि Enactus IIT-D द्वारा शुरू किया गया initiative ‘Arth’ दिल्ली के शमशान घाटों पर fuel की तरह इस्तेमाल होने वाली लकड़ी को replace करने का लक्ष्य रखता है|
उनकी टीममेट, शालका पाटिल के अनुसार, हर साल भारत के हर 7 मिलियन से ज़्यादा श्मशानों में 400 किलो से ज़्यादा लकड़ी की ज़रूरत होती है। इसलिए, एक alternative fuel की ज़रूरत है, जो न केवल renewable है बल्कि प्रदूषण को भी कम करता है।
एक सर्वे के दौरान टीम ने पाया कि निगंबोध घाट में कभी-कभी 50 दाह-संस्कार एक साथ लकड़ियों का इस्तेमाल कर के किए जाते हैं| उन्हें ये भी पता चला कि शहर में कई गौशाला और डेरी, गाय के गोबर को dispose करने जैसी गंभीर समस्या का सामना करती हैं|
पाटिल ने कहा कि उनमें से कई लोगों के पास पानी के श्रोतों में या खाली plots में गोबर डालने के अलावा कोई option नहीं है।
मज़हर के अनुसार इससे प्रदूषण और पानी की ब्लॉकिंग और खाली पड़ी ज़मीन खराब होती है| ये गौशाला में जानवरों और वहाँ काम करने वालों के लिए unhygienic conditions भी बनाता है| मज़हर ने ये भी कहा कि initiative Arth एक ही वक़्त में दोनों problems को resolve करने की कोशिश करता है|
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट राज ने कहा कि टीम ने “Greenhouse” principle पर based एक प्रोटोटाइप सुखाने की मशीन develope की है, जो कि heat को trap करती है और तापमान को 50 डिग्री सेल्सियस के ऊपर ले जाती है। सूखे गोबर को उसके बाद log-making machine से pass किया जाता है|
राज ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में, टीम ने निगंबोध घाट में एक unclaimed body के दाह संस्कार के दौरान इस fuel का test किया था। उन्होनें positive results देखे, प्रदूषण कम हुआ और process भी smooth था| वो अब एक ऐसी मशीन बनाने पर काम कर रहे हैं, जो उन्हें ज़्यादा logs बनाने में मदद करेगा|
निगंबोध घाट के इंचार्ज अवदेश शर्मा ने कहा कि initiative Arth आने वाले भविष्य में एक viable option बन सकता है। हालांकि जलती हुई घाट में लकड़ी और सीएनजी दोनों सुविधाएं हैं, लेकिन ज्यादातर लोग लकड़ी को पसंद करते हैं क्योंकि लकड़ियाँ बेहतर जलती हैं। उन्होनें कहा कि अगर उनके पास पर्याप्त dung ‘logs’ हों, तो वो तीसरे option के लिए भी जा सकते हैं। उन्होनें कहा कि धार्मिक कारणों से लोगों को इन “logs” के इस्तेमाल के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि गाय के गोबर का सदियों से श्मशान में भी इस्तेमाल किया जाता है और यहां तक कि अब ग्रामीण लोग भी इसे अंतिम संस्कार के दौरान इस्तेमाल करते हैं|
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