बाल-विवाह होने के बाद भी Roopa ने किया अपना सपना पूरा
राजस्थान के गांवों में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो अपने पढ़ाई के अधिकार के लिए अपने ही घरवालों से लड़ रही हैं, जिसमें कई लड़कियाँ पढ़ाई कर आगे भी बड़ रही हैं| इन महिलाओं में एक नाम Roopa Yadav का भी है, जिन्होंने अपने घरवालों से जंग जीतकर पढ़ाई की राह चुनी और आज वो doctor बनने के लिए MBBS की तैयारी कर रही हैं|
Roopa की शादी 8 साल की उम्र में हो गई थी और वो उस वक्त तीसरी क्लास में पढ़ाई कर रही थीं| नादान Roopa को उस वक़्त शादी का मतलब भी पता नहीं था, लेकिन वो इस बात से खुश थीं कि उन्हें नए कपड़े मिल रहे हैं और घर पर मिठाइयां बन रही हैं| उन्होंने 10वीं क्लास तक अपने मायके में पढ़ाई की और उसके बाद वो ससुराल चली गईं|
उन्होनें सूत्रों को बताया कि उनके ससुराल के लोग भी पढ़े-लिखे नहीं थे| Roopa ने उनसे बात की तो उन्होनें 11th क्लास में उनका एडमिशन करा दिया| वहां जाकर पहली बार Roopa ने NEET का नाम सुना था| उनका डॉक्टर बनने का सपना था, इसलिए वो खेत में काम करने के साथ-साथ घर में पढ़ाई भी करती थी|
घर के कामकाज और पढ़ाई के साथ ही, Roopa ने 12th क्लास में 84% स्कोर करके अपना दृढ़ संकल्प साबित कर दिया। उसी साल, उन्होंने B.Sc course के लिए खुद को enrolled किया और AIPMT examination में appear होकर उन्होनें 23000 AIR rank हासिल की|
उसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई शुरु की. उसके बाद वो कोटा गईं, जहां उन्होंने नीट की तैयारी की और उनका बीकानेर के एक कॉलेज में दाखिला हो गया, जहां वो अब आगे की पढ़ाई कर रही हैं|
Roopa के इस सफ़र में, खेती करने वाले, उनके पति और जेठ दोनों ने उन्हें पूरा support किया| पढ़ाई का ख़र्चा उठाने के लिए, गाँववालों के तानों को ignore करते हुए उन्हें auto चलाना सिखाया|
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