Anaaj Bank भर रहा है ग़रीब और भूखे गाँववालों का पेट

कोरायन और शंकरगढ़ के गांवों में रहने वाले कई लोगों के लिए, रात को भूखे पेट सोना आम बात थी| Landless और गरीब होने के कारण, उन्हें अक्सर human existence, यहां तक कि खाने की कुछ basic needs को नजरअंदाज करने के लिए मजबूर होना पड़ता था।

Anaaj Bank
Photo : patrika.com

लगभग एक साल पहले, जब एक लोकल self-help group (SHG) ने उनके गांवों में ‘Anaaj Bank’ लॉन्च किया था, तो उन्हें उम्मीद नहीं थी कि 300 किलोग्राम अनाज को स्टोर करने वाला एक छोटा tin drum कुछ बदल सकता है।

हालांकि, इसके शुरू होने से, इस पहल के लिए वो आभारी हैं, जिसने उन्हें loan पर home grains लेने में मदद की। बदले में, उन्हें केवल अनाज का एक हिस्सा बैंक को donate करना था।

Anaaj Bank
Photo : pire.webcam

ये Anaaj Bank, झांसी में जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर सुनीत सिंह का दिमाग है, जिन्होंने local NGO प्रगति वाहिनी फेडरेशन द्वारा चलाए गए SHG को idea दिया।

Anaaj Bank एक साल से ज़्यादा वक़्त से मेजा, मंडा और बहादुरपुर जैसे इलाक़ों में 20 से ज़्यादा गांवों के निवासियों को सफलतापूर्वक खानपान करा रहा है।

Anaaj Bank stores, चावल को स्टोर करता और उधार देता है और SHG ने हर गांव में 300 किलोग्राम अनाज को store करने के लिए एक बड़ा drum रखा है। जब भी किसी local resident को कुछ चावल की जरूरत होती है, वो ड्रम से अनाज निकाल सकते हैं।

Anaaj Bank
Photo : dnaindia.com

Store को donation के द्वारा या खुद members द्वारा भरा जाता है।

इस समय, इस unique initiative से धूफ, अंतरेजी, नाई बस्ती, देवघाट, चाचर, हार्डिया, पाठरा, मच्छगवान और कथ जैसे गांवों में करीब 300 परिवारों को फायदा हो रहा है।

एक किलोग्राम चावल donate करके कोई भी इस बैंक का member बन सकता है। जरूरत के वक़्त, members पांच किलोग्राम चावल का loan ले सकते हैं, जिसे कि बिना कोई ब्याज दिए, 15 दिनों के अंदर वापस किया जाता है।

ज़्यादातर गांवों में कोल और मुसाहर जैसे जनजातियों के लोग रहते हैं|

Anaaj Bank
Photo : indiamantra.com

इन ग्रामीणों, जिनमें से ज्यादातर landless हैं, के लिए ये बैंक किसी वरदान से कम नहीं है|

सिंह और उनके colleagues, जिले के बाकी ब्लॉक में इस initiative को expand करने का प्लान बना रहे हैं और इस उद्देश्य के लिए ‘Bhookh se mukt Allahabad’ (Freedom from hunger for Allahabad) की एक special organisation भी बनाई है|

Organisation में 40 member शामिल होंगे जिनमें academicians, doctors, lawyers और businessmen शामिल होंगे।

सिंह ने कहा कि वो 22 सितंबर को इसे इलाहाबाद को भूख से मुक्त करने के उद्देश्य से लॉन्च करेंगे और जसरा, बहादुरपुर, हैंडिया, प्रतापुर और फूलपुर जैसे ब्लॉक में बड़ी संख्या में गाँव इसका benefit उठाएंगे।

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उन्होनें कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार, इन ब्लॉकों में लगभग 10,000 ‘वानवासी’ समुदाय जैसे मुसाहर, दहिकार और नट हैं।

Organisation’s के member दान किए गए चावल इकट्ठा करेंगे और गांवों में ऐसे ड्रम रखेंगे, जहां ऐसे जनजातीय समुदाय रहते हैं ताकि कोई भी भूखे न सोए। उन्होनें कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि उनकी छोटी पहल के साथ, 2030 तक ‘zero hunger world’ के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य को achieve किया जा सकता है|

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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