Kerala weavers के लिए Chekutty लेकर आयी आशा की किरण
केरल के चेन्दामंगलम क्षेत्र में कई handloom societies ने ‘Chekutty’ गुड़िया बनाने और उन्हें online बेचने के लिए बाढ़ में नष्ट होने वाली साड़ियों का इस्तेमाल कर Kerala weavers को उनके पैरों पर वापस खड़ा करने के लिए एक innovative तरीका अपनाया है।
एक हैंडलूम साड़ी, जो आम तौर पर लगभग 1,300 रुपये की होती है, का इस्तेमाल लगभग 300 गुड़िया बनाने के लिए किया जाएगा| जिसे उसके बाद 25रु. प्रत्येक के दर से बेचा जाएगा, जो कम से कम 7,500 का दाम लाएगा। जल्द से जल्द उनके handlooms शुरू करके funds का इस्तेमाल Kerala weavers को rehabilitate करने के लिए किया जाएगा।
Online sales के ज़रिए पैसे जुटाने के विचार से आए Social entrepreneurs का कहना है कि गुड़िया के उपर बनी मुस्कान, उसे एक हेक्स बैग का लुक देती है| हालाँकि, बाजार में ये “shiniest” नहीं है, लेकिन weavers के लिए एक symbol of resilience है|
हाल ही में बनी वेबसाइट (chekutty.in) के homepage पर एक poem लिखी हुई है:
“Chekkutty has scars.
Chekkutty has stains.
But Chekkutty represent each one of us who survived the floods.”
Gopinath Parayil, जो कि Lakshmi Menon के साथ discuss कर के इस idea को लाए हैं, ने कहा कि जब वो वहां गए, तो handloom society को कोई आइडिया नहीं था कि बर्बाद स्टॉक के साथ क्या करना है या अपने looms को फिर से कैसे चलाना है। उन्होनें कहा कि कुछ सोचने के बाद उन्हें गुड़िया बनाने का आइडिया आया, जिसे कि 25 रुपये per piece पर बेचा जाएगा|
Parayil ने कहा कि पहल का मकसद है कि innovative ideas का इस्तेमाल करके चीजें फिर से चलें क्योंकि सरकारी मशीनरी को काम करने में टाइम लगेगा क्योंकि अभी उनके पास करने को बहुत कुछ है।
Menon ने कहा कि उनके पास अब लगभग 200 साड़ी हैं। वो गुड़िया बनाने में मदद करने के लिए volunteers को लाने के लिए भी तैयार हैं। उन्होनें Kerala weavers को अभी पिच करने के लिए नहीं कहा है क्योंकि वे अपने लूम को फिर से चलाने की कोशिश में busy हैं। उन्होंने कहा कि इससे आने वाला पैसा handloom society को खुद को rebuild करने के लिए दिया जायेगा|
Chendamangalam Handloom Weavers के सहकारी समिति सचिव अजीत कुमार जी ने कहा कि चेन्दममंगलम के आसपास और आसपास के लगभग 300 handloom weavers को अगर जल्द ही लूम को शुरू नहीं किया जाता है, तो better pastures की तलाश में traditional industry में अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ सकती है|
अभी के हालात इस traditional industry के अस्तित्व के लिए खतरा बने हुए हैं| कुमार, जिनके समाज में लगभग 60 weavers हैं, ने कहा की अगर situation जल्द ही सही नहीं होती है, तो कम से कम आधे weavers, दूसरी नौकरियों पर चले जाएंगे|
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