उत्तराखण्ड की Deveshwari Bisht युवाओं के लिए बन रही हैं मिसाल
Deveshwari Bisht इंजीनियर की नौकरी छोड़ लोगों में trekking का जज़्बा जगा रही हैं| उनकी इस मुहिम से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है। ट्रैकिंग के साथ ही Deveshwari को पहाड़ के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत को भी अपने कैमरे में बड़ी खूबसूरती से कैद करना आता है| इसके बाद उन photos को देश-दुनिया के पर्यटकों को दिखाकर उन्हें पहाड़ आने के लिए आकर्षित करती हैं। आज वो एक अच्छी फोटोग्राफर के तौर पर भी उभर चुकी हैं|
कठुआ और उन्नाव जैसी घटनाओ से जहाँ पूरा देश चिंतित और आक्रोशित हो जाता है, बेटियों को लेकर आम लोगों में चिंता बढ़ने लगती है। मगर इन चिंताओं के बीच देश की कई बेटियाँ सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही हैं| ये बेटियाँ ऐसी किसी खबर से घबराती नहीं बल्कि और मजबूत होती हैं। कई बेटियां लीक से हटकर काम करने के लिए आगे रहती हैं और अकेले ही आगे बढ़ती चली जाती हैं। चिंताओं के बीच ऐसी बेटियां सुखद अहसास करा रही हैं| उत्तराखण्ड के चमोली जिले की बेटी Deveshwari Bisht ने भी कुछ ऐसा कर दिखाया है जिस पर हर किसी को गर्व है।
जनपद चमोली की इस इंजीनियर बिटिया के बुलंद हौसलों से लोगों को सीख लेने की जरूरत है। अपनी मिट्टी और पहाड़ से ऐसा लगाव कि इंजीनियर की अच्छी खासी नौकरी को अलविदा कह दिया। नौकरी छोड़कर वो trekking के जरिए स्वरोजगार ला रही हैं। साथ ही cultural heritage को संजोने का काम भी कर रही हैं।
गोपेश्वर निवासी Deveshwari Bisht बेहद साधारण परिवार में पली बढ़ी हैं। परिवार में दो बहन और एक भाई है। 12 वीं तक की पढ़ाई उन्होंने गोपेश्वर से की और इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद 2009 में Rural Water and Sanitation Programme में, जल संस्थान गोपेश्वर में बतौर लोवर-इंजिनियर के पद पर काम करना शुरू कर दिया। 3 साल प्रॉजेक्ट में काम करने के बाद उरेडा में बतौर लोवर-इंजिनियर काम किया| पहले चमोली, फिर रुद्रप्रयाग और उसके बाद टिहरी के द्घुत्तु और द्घनसाली में काम किया। भले ही Deveshwari इंजीनियर की नौकरी कर रही थी, लेकिन उनका मन हमेशा पहाड़ के खेत और खलिहान में ही लगा रहता था| आखिरकार 2015 में इंजीनियर की नौकरी छोड़ उन्होंने trekking को अपना मिशन बनाया।
Deveshwari Bisht का बचपन से लेकर इंजीनियरिंग तक का अधिकांश समय गोपीनाथ की नगरी गोपेश्वर में बीता। इसलिए उनकी भोलेनाथ पर अगाध श्रद्धा है। वह पिछले 10 सालों से हर साल पंचकेदार और केदारनाथ, मद्दमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पेश्वर के दर्शनार्थ जरूर जाती हैं। उन्हें गोपेश्वर से दिखाई देने वाली बर्फ से ढकी चोटी नंदा द्घुंद्घटी बेहद पसंद है, जो हर मौसम में अलग और अलग आकूति का रूप लेती है। इसके अलावा तुंगनाथ की पहाड़ी और सामने बहती अलकनंदा हमेशा कुछ अलग काम करने का संदेश देती है| उनको बचपन से ही अपनी पहाड़ की मिट्टी और यहां के रीति रिवाज और परंपराओं से बेहद लगाव रहा है।
नौकरी छोड़ने के बाद Deveshwari ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ट्रेकिंग के जरिए अपनी नई मंजिल को पहचाना और आगे बढ़ती रहीं| वो नौकरी के दौरान भी पार्ट टाइम trekking करती थी। 2015 से लेकर अब तक वो सैकड़ों लोगों को हिमालय की सैर करवा चुकी हैं। जिसमें पंचकेदार, पंचबदरी फूलों की घाटी, हेमकुंड, स्वर्गारोहणी, कुंवारी पास, दयारा बुग्याल, पंवालीकांठा, पिंडारी ग्लेशियर, कागभूषंडी, देवरियाताल, द्घुत्तु सहित दर्जनों trek शामिल हैं। अपने हर ट्रैक के दौरान Deveshwari Bisht स्थानीय गाइडों से लेकर स्थानीय लोगों को direct और indirect तरीके से रोजगार दिलाती हैं।
Deveshwari Bisht केवल ट्रैक ही नहीं करती बल्कि हिमालय की वादियों से एक से एक बेहतरीन फोटो को अपने कैमरे में कैद कर देश और दुनिया से रूबरू करवाती हैं। उनके पास पहाड़ों की बेहतरीन फोटो का एक शानदार कलेक्शन मौजूद है। उनके पास 10 हजार से भी ज़्यादा फोटो हैं। जिनमें पहाड़ों, फूलों, बुग्यालों, नदियों, झरनों से लेकर लोक संस्कृति को दिखाती फोटो शामिल हैं। पिछले कई सालों से उत्तराखण्ड में कोई ऐसी लड़की या महिला फोटोग्राफर और महिला ट्रैकर नहीं देखी जिसने इसे रोजगार का जरिया बनाया हो। ऐसे में Deveshwari का काम उन्हें दूसरों से अलग बनाता है, जिनके पास पहाड़ जैसा हौसला है।
Deveshwari Bisht ने अपनी एक बेबसाइट और फेसबुक पेज भी बनाया है। ताकि लोगों को आसानी से उत्तराखण्ड के ट्रैकों के बारे में जानकारी मिल सके। वास्तव में देखा जाए तो trekking की फील्ड में रोजगार की unlimited possibilities हैं। Deveshwari ने दिखा दिया है कि वे बेटों से हर कदम पर मीलों आगे हैं। उनके हौसलों और जज्बे को हजारों सैल्यूट। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में युवा पीढ़ी भी Deveshwari Bisht की तरह अपने पहाड़ और माटी का रुख करेगी। ताकि यहां से पलायन को कुछ हद तक रोका जा सके।
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