कारगिल हीरो Anuj Nayyar के लिए उनका देश ही था उनकी पहली priority
आप और हम जैसे लोग, जो शहरों में ऑफीस-जॉब करते हैं और सुरक्षित घर में रहते हैं, हमेशा इस बात का answer नहीं दे सकते कि हम देश के लिए क्या कर रहे हैं| हम dutifully अपने taxes pay करते हैं, सरकार के बारे में बड़बड़ाते हैं या अक्सर यही कहते हैं कि ‘यहाँ कुछ नहीं हो सकता’| ऐसा नहीं है कि हम देश के लिए कुछ करना नहीं चाहते, लेकिन हमें लगता है कि ऐसा कोई रास्ता नहीं है जिससे एक आम इंसान history बना सकता है|
हालाँकि history कई बार बनी है, जिससे पता चलता है कि इंसानों की इच्छा और gumption अभी बरकरार है|
28 अगस्त, 1975 को पैदा हुए Anuj Nayyar दिल्ली में बड़े हुए। उनके पिता, एस के नायर, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एक visiting professor के रूप में काम करते थे, जबकि उनकी मां मीना नायर दिल्ली विश्वविद्यालय की South Campus library के लिए काम करती थीं|
धौला कुआँ के आर्मी पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट, Anuj Nayyar एक bright pupil थे, जिन्होंने लगातार academics और sports में अच्छा performance किया। एक keen volleyball player और long distance runner, वह बहुत छोटी उम्र से deeply patriotic थे और हमेशा army जाय्न करना चाहते थे| और उन्होंने National Defence Academy (Echo Squadron) में शामिल होकर अपने इस खूबसूरत सपने को पूरा किया|
1997 में Anuj Nayyarको Indian Military Academy से graduation करने के बाद 17वीं बटालियन, जाट रेजिमेंट (17 जाट) में शामिल किया गया। इस रेजिमेंट में एक junior officer के रूप में, उन्हें जम्मू-कश्मीर के Kargil region में तैनात किया गया था, जब Indian Army ने उस एरिया में Pakistani military forces द्वारा भारी घुसपैठ का पता लगाया था।
तुरंत action लेते हुए, इंडियन आर्मी ने अपनी territory से दुश्मन सैनिकों को बाहर निकालने के लिए अपनी forces को mobilised किया| इसके तुरंत बाद, Anuj की यूनिट को टाइगर हिल के western side पर एक mountain peak Point 4875 को फिर से recapture करने का ऑर्डर मिला, जिसे पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था|
चोटी पर steep slopes थे और वायुसेना के support के बिना इसे capture करना impossible था। Anuj ने इस काम को अपने हाथों में ले लिया क्योंकि लड़ाई जीतने के लिए इस peak को capture करना top priority थी| वो अपनी कंपनी के साथ आगे बड़े और चार बंकरों में से तीन को secure कर लिया| चौथा बंकर capture करते समय दुश्मन का एक ग्रेनेड सीधे उनके उपर गिर गया। वो बुरी तरह injured हो गये, लेकिन जब तक उन्होनें आखिरी बंकर पर कब्जा नहीं कर लिया तब तक वो वापस नहीं आए|
Captain Anuj Nayyar अपने पीछे एक प्यारा परिवार छोड़ गये, जो उन्हें हमेशा याद करता है| वो उस वक़्त engaged थे और लड़ाई से वापस आने के बाद शादी करने वाले थे| उन्होनें लड़ाई में जाने से पहले अपनी engagement ring अपने commanding officer को देकर, उनके वापस ना आने के बाद उनकी fiancée को लौटाने के लिए कहा था|
Captain Nayyar ने सेना में सिर्फ़ 2 साल तक सेवा दी, लेकिन उन्होंने जो मिशन पूरा किया, उसने उनकी यादों को अमर बना दिया| वो एक young age से अपना passion जानता थे और जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होनें उसे पूरा किया। ज़रूरत के उस वक़्त, उनके courageous act से Kargil War में राष्ट्र की जीत हुई|
दुश्मन के सामने conspicuous bravery और leadership of the highest order के लिए, Captain Anuj Nayyar को मरणोपरांत Maha Vir Chakra, देश के second highest honour से सम्मानित किया गया|
Kargil Vijay Diwas पर हम इन वीर योद्धाओं को याद करते हैं और सलाम करते हैं जिन्होंने राष्ट्र और अपने साथी देशवासियों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया| आज समय है कि हम उन unsung heroes और उनके परिवारों को मान्यता और सम्मान दें| जय हिंद !
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