शिमला के इस Book cafe को बख़ूबी चला रहे हैं कैदी
दिन तक, शिमला के जिस Book cafe में Jai Chand काम करता है, वो वहाँ से भारतीय हिमालय का शहर का सबसे सौंदर्य नज़ारा देखने का आनंद लेता है| लेकिन शाम को वही नज़ारा उसके लिए सबसे बुरे नज़ारों में होता है|
हर दिन 11 घंटे, Book Cafe का स्टाफ customers की भीड़ को कॉफी और खाना खिलाते हैं। फिर वो वहाँ ताला लगाते हैं और 15 मिनट चलकर वापस जेल में चले जाते हैं|
48 साल के Jai Chand और उनके colleagues सभी convicted criminals हैं, जो कि आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं| वो अप्रैल 2017 से Book cafe चला रहे हैं| कैदियों को समाज से संबंध बनाए रखने और अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए पैसे कमाने में मदद करने के लिए एक पहल के तहत वो काम कर रहे हैं|
कोई prison officers उनकी निगरानी के लिए नहीं हैं, ये लोग खुद पैसे गिनते हैं, खाना तैयार करते हैं और स्कूल यूनिफॉर्म्स वाले बच्चों की दोपहर की दौड़ के साथ संघर्ष करते हैं। जेल में रहकर सालों से अच्छा व्यवहार बनाए रखने की वज़ह से हर स्टाफ-मेंबर प्रोग्राम के लिए क्वालिफाइड है|
शिमला के former मेयर संजय चौहान, जिन्होंने अपने term के दौरान इस योजना को शुरू किया था कहते हैं कि पिछले दो सालों से किसी की एक शिकायत भी नहीं हुई है| प्रोग्राम को सफलता माना जाता है, लेकिन पिछले हफ्ते एक रात कैफे में चोरी हुई थी| बेशक, Chand और कर्मचारियों के पास इसका जवाब था कि वो रात को cafe में नहीं होते हैं|
कैफे हिमाचल प्रदेश राज्य में कैदियों द्वारा चलाए जा रहे संचालनों में से एक है, जिसमें mobile food vans, online supermarkets और पब्लिक के लिए theatrical shows शामिल हैं। चौहान कहते हैं कि अगर किसी ने अपराध किया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे हमेशा के लिए आपराधिक हैं। हमें उन्हें सभ्य पुरुष होने का अवसर भी देना चाहिए और अपने परिवारों के लिए कमाई करने का भी|
एक बार जब customers की भीड़ ख़त्म हो जाती है, तो चाँद बताता है कि वह जेल तक कैसे पहुँचा| वो कहता है “भारतीय दंड संहिता की धारा 302” हत्या के केस में|
Jai Chand का दावा है कि सत्रह साल पहले, वह अपनी पत्नी को आत्महत्या करने का प्रयास से रोकने के लिए घर पहुँचा| उसने उसे बचाने की कोशिश की| लेकिन पुलिस ने इस्पे दूसरी तरह से विश्वास किया, उसे डुबाने और फिर उसका गला घोंटकर मारने का आरोप लगाया और अदालत ने चाँद को उम्रकैद की सजा सुना दी|
केवल एक लैमिनेटेड सरकारी नोटिस ने इस कैफे को सड़क पर दूसरों के मुक़ाबले अलग घोषित किया है। कई customers को पता नहीं है कि काउंटर के पीछे वाले लोग violent crimes की सज़ा काट रहे हैं और जो लोग जानते हैं वो unconcerned हैं|
एक regular customer पुनीत शर्मा कहते हैं कि Book cafe का स्टाफ बहुत विनम्र है| लोग खुश हैं और इसका समर्थन कर रहे हैं।
मोहित चौहान यह जानकर आश्चर्यचकित हैं कि पिछले कुछ महीनों से उन्हें coffee कौन पीला रहा है| वो कहते हैं कि उन्हें खुशी है कि लोगों को काम करने का मौका मिल रहा है|
Chand के लिए ये एक नौकरी से बढ़कर है। वो कहता है कि जब वो जेल में था, वो समाज का हिस्सा नहीं थे, वो अलग थे| लेकिन अब जब वो यहां हैं तो वो समाज के हिस्से की तरह महसूस करता है| उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, वो इंसान है|
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