Krishna की बहन के अंतिम संस्कार के लिए आगे आए मुस्लिम भाई

पुट्टुर तालुक के विद्यापुरा में जनवती कॉलोनी की निवासी 52 साल की भवानी की शनिवार को कार्डियक अरेस्ट के कारण मृत्यु हो गई और परिवार में उनके बाद केवल एक इंसान उनका भाई Krishna था।

Krishna, जो कि बहुत कम कमाई करता है, अपनी बहन का अंतिम संस्कार नहीं कर सका और उसने लोगों को इलाके में मदद के लिए पूछा| लेकिन उनकी कोई मदद नहीं हुई| भवानी का शरीर पूरे दिन घर पर रहा, लेकिन कोई भी उनकी मदद को आगे नहीं आया|
Krishna पहले से ही भारी नुकसान में था, लेकिन अपनी बहन को अंतिम वक़्त में सम्मानित विदाई ना दे पाना ही सिर्फ़ उसे चुभ रहा था|
यही वह वक़्त था जब कुछ मुस्लिम भाइयों, शौकत, हमजा, नाज़ीर, रियाज और फारूक का एक ग्रूप मानवता और कृष्णा के लिए खड़ा हुआ और उनकी बहन के अंतिम संस्कार के लिए पैसे जुटाने में उनकी मदद की।

Krishna
Photo : internet

राजेश्वरी, एक आंगनवाड़ी टीचर ने लोकल वालंटियर जुबैदा और सफिया के साथ मिलकर शरीर को स्नान कराया| बाद में उन्होंने शरीर को एम्बुलेंस में पुट्टूर श्मशान मैदान पहुँचाया और अंतिम संस्कार किया|
फारूक ने कहा कि उन्होनें प्रचार के लिए ऐसा नहीं किया, बल्कि वो मृतक की जाति या धर्म का मदभेद मिटाकर मदद करने के लिए आगे आए। वो लोगों को एक संदेश देना चाहते थे कि एक मृत को उसके अंतिम संस्कार से वंचित नहीं होने देना चाहिए|

Krishna
Representational Image

यह पहली बार नहीं है, जब मानवता, धर्म, जाति या मज़हब से जीती है| भले ही इस तरह के काम इतने प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन मानवता जिंदा है और हमेशा रहेगी। पिछले महीने, एक मुस्लिम आदमी, रबी शेख ने अपने बेघर दोस्त मिलान दास को सम्मानित अंतिम संस्कार दिया और आख़िरी अलविदा कहने के लिए सभी पारंपरिक हिंदू संस्कार किए थे|

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Geeta Rana

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