P K Murugesan ने पर्यावरण-संरक्षण में जोड़ा अपना innovation

कहावत है की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, पर कई बार ये आविष्कार गलती से या चूक से भी हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ कोयम्बटूर मे रहने वाले इनटिरियर डिज़ाइनर, P K Murugesan के साथ। मामला बड़ा दिलचासों है कि कैसे मुरुगेसोन को लकड़ी कि साईकल बनाने का आइडिया आया। हुआ कुछ ऐसा कि एक जगह से दूसरी जगह शिफ्टिंग के दौरान Murugesan कि साइकल के कुछ पुर्जे टूट गए। अब पुर्जे क्या टूटे, समझिए कि Murugesan का दिल टूट सा गया बस। उन पुर्जों कि तलाश उन्होनें हर संभव जगह कि, पर कुछ भी हाथ नहीं आया।

P K Murugesan
Photo : indiatimes.com

तब जा कर P K Murugesan के मन मे यह विचार कौंधा कि क्यूँ ना वो पुर्जे लकड़ी द्वारा खुद ही बनाए जाएँ। बस फिर, इतना होना था कि Murugesan का इनटिरियर डिज़ाइनर वाला दिमाग लग गया ढांचे कि तस्वीर बनाने में  देखते ही देखते एक के बाद  एक वो कदम बढ़ाते चले गए और उनकी साईकल बनकर तैयार हो गयी। यूं समझ लीजिये कि बस हैंडल और सीट के अलावा सब कुछ लकड़ी का ही है। जब Murugesan यह साईकल लेकर सड़कों पर निकले तो ना सिर्फ लोगों ने मुड़-मुड़ कर देखा, बल्कि अपने लिए भी ऐसी साइकल बना कर देने का प्रस्ताव भी Murugesan को दिया।

P K Murugesan
Photo : timesofindia.indiatimes.com

वैसे फिलहाल P K Murugesan का ऐसा कोई विचार नहीं है। अभी के लिए तो उनका ये कहना है कि वो साईकल के डिज़ाइन में सुधार करके उसको बनाने का खर्च और कम करने पर काम करेंगे और अगर वो ऐसा करने मे सफल हो गए तो शायद सच में ही अपनी वूडेन साईकल बनाने की कंपनी शुरू कर दें। हम उम्मीद करते हैं कि वो अपने काम v सफल हो क्यूंकी ऐसे आविष्कारों की अब वाकई हमारे पर्यावरण को बहुत ज़रूरत है।

P K Murugesan
Photo : Indiatimes.com

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Geeta Rana

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