मुंबई के DJ रहे Daniel Marcus Macwan,अब बचा रहे हैं जानवरों को

मणिपुर की rich biodiversity से प्रेरित, Daniel Marcus Macwan एक पेशेवर डीजे थे| वो मुंबई में रहते थे और पहले अमेरिका में भी काम कर चुके हैं| उन्होनें अपनी नौकरी छोड़ दी और मणिपुर के तामेंगलांग शहर में वन्य जीवन को बचाने के लिए कदम उठाया।

तीन साल पहले अपनी पत्नी Galina Newme के साथ पूर्वोत्तर राज्य में चले गए Daniel Marcus Macwan, जंगली जानवरों की दिक्कत से बहुत परेशान हो गये और उन्हें बचाने के लिए सशक्त प्रयास करने लगे| पिछले साल की शुरुआत के बाद से, दंपति तमिलगोंग बाजार में अवैध व्यापारियों और शिकारी से जंगली जानवरों को खरीद रहे थे और उन्हें जंगल में छोड़ देते थे या उन्हें state zoo authorities के अधिकारियों को सौंप देते थे| अब उन्होनें रेस्क्यूड जानवरों के लिए Tamenglong Animals’ Home को तैयार किया है|

Daniel Marcus Macwan
Photo : indiamantra.com

Daniel कहते हैं कि उन्होनें मुंबई के व्यस्त शहर को छोड़कर, तमनलांग में अपने प्राचीन जलवायु और सुंदर, हरी घाटियों के कारण वहाँ बसने का फैसला किया। लेकिन जब उन्होनें जंगली जानवरों और पक्षियों को चुप और बँधा देखा, तो वो सिर्फ मूक दर्शक नहीं बन पाए| इस तरह जंगली जानवरों को बचाने के लिए उनका अभियान शुरू हुआ|

डीजे के रूप में Daniel Marcus Macwan ने सात सालों से मुंबई में गेटो और रसना पब, ग्रूव, म्यूजिक डेस्टिनेशन, सलीमर होटल, शांतिन्ज और क्यूई में काम किया था। वह तीन साल तक फ्लोरिडा में मियामी में रॉयल कैरेबियन क्रूज के साथ भी जुड़े हुए थे| लेकिन अब उनका काम wildlife conservationist के रूप में है, जिसकी खुद की चुनौतियां हैं। जानवरों को फँसाने और हत्या करने के खतरे को रोकने के लिए(जो कि पहाड़ी में अपनी खुद की एक परंपरा है) वो लोगों को conservation के महत्व के बारे में शिक्षित करने की कोशिश करते हैं। उन्होनें तमेंगलांग बाजार से 7000 रुपये की कुल लागत वाले दो बड़े एशियाई जंगली कछुए खरीदे, जिनमें से प्रत्येक का वजन करीब 27 किलोग्राम था और बाद में उन्हें इंफाल में मणिपुर जूलॉजिकल गार्डन अधिकारियों को सौंप दिया|

कछुओं को बाद में राज्य वन प्राधिकरणों द्वारा कीबुल लामोजो नेशनल पार्क में छोड़ दिया गया। Daniel Marcus Macwan और उनकी पत्नी, जंगल में जब भी जानवरों के बच्चे होते हैं तब वो छोटे जानवरों का पोषण करने के साथ-साथ उन्हें खिलाते भी हैं। उन्होनें एक शिकारी से 1000 रुपये में तेंदुए का बच्चा भी खरीदा था, लेकिन वह बहुत छोटा था और इसलिए वो उसे हर तीन घंटे में बहुत सावधानी से उसे दूध पिलाते थे| डैनियल अफसोस के साथ कहा कि दुःख की बात यह है कि शावक को diarrhoea हो गया और वो इतनी जल्द वहाँ किसी vets को नहीं ढूंड पाए|

#NekInIndia

Facebook Comments
(Visited 440 times, 1 visits today)

Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Facebook

SuperWebTricks Loading...
error: Content is protected !!
%d bloggers like this: