Peon से 5000 crore की कंपनी बनाने का Balvant Parekh का सफ़र
Pidilite कंपनी की शुरूवात 58 साल पहले Balvant Parekh ने की थी| जिन्होनें कभी लकड़ी के व्यापारी के वहाँ चपरासी का काम भी किया| लेकिन अपनी मेहनत और आत्म-विश्वास के बलबूते उन्होनें करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी| और उनके प्रॉडक्ट लगभग भारत के हर घर में इस्तेमाल होते हैं|
Balvant Parekh का जन्म 1925 में गुजरात के भावनगर डिस्ट्रिक्ट के महुवा नाम के ज़िले में हुआ था| उन्होनें अपनी शुरूवाती पढ़ाई अपने कस्बे से ही की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए वह मुंबई चले गये| जहाँ उन्होनें गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की| लॉ की पढ़ाई के दौरान ही उनकी शादी Kantaben नाम की एक लड़की के साथ हो गई| हालाँकि लॉ की पढ़ाई Balvant ने घर वालों के दबाव में आके की थी, क्यूंकी वह शुरू से ही एक businessman बनना चाहते थे| और साथ ही साथ वह एक देशभक्त व्यक्ति थे, जिन्हें झूठ बोलना बिल्कुल भी पसंद नहीं था| इसलिए Balvant ने लॉ की नौकरी करने की बजाए मुंबई में डाइ और प्रिंटिंग -प्रेस में मजदूर के तौर पर काम करना शुरू किया| और आगे चलकर स्तिथि ऐसी बनी कि उन्हें एक लकड़ी के व्यापारी के वहाँ चपरासी की नौकरी करनी पड़ी| और उस वक़्त पैसों की इतनी समस्या हो गई कि वह अपनी पत्नी के साथ वहीं warehouse में ही रहते थे|
लेकिन तभी उनकी मुलाकात हुई Mohan नाम के एक investor से, जिन्होनें Balvant Parekh के talent को पहचाना और उन्ही की मदद से Parekh ने वेस्टर्न कंपनी से साइकल और सुपारी import करने का काम शुरू किया| इस बिज़्नेस से उन्हें जल्द ही अच्छा-ख़ासा फ़ायदा भी होने लगा| यह उस वक़्त की बात है जब कुछ साल पहले ही भारत आज़ाद हुआ था और अपना देश खुद के पैरों पर खड़े होने की तैयारी में था| अब तक जितनी भी चीज़ें मजबूरन बाहर देशों से मंगाई जाती थीं, उसे बहुत सारे businessman भारत में ही बनाने की planning कर रहे थे|
तभी Balvant Parekh की नज़र लकड़ी के कारीगरों की तरफ गई| उन्होनें देखा की कारपेंटरों को लकड़ियों को जोड़ने में बहुत दिक्कत होती थी| इसी दिक्कत को देखते हुए पारिख ने बहुत रिसर्च की और आख़िर में उन्होनें synthetic रसायन की मदद से गोंद बनाने का रास्ता ढूंड लिया| इसके बाद 1959 में उन्होनें Pidilite brand के तहत सफ़ेद और ख़ुश्बूदार गोंद को Fevicol नाम के साथ launch किया| असल में Fevicol नाम जर्मनी शब्द col से लिया गया था, जिसका मतलब होता है 2 चीज़ों को जोड़ने वाला और जर्मनी की ही कंपनी Movicol कुछ इसी तरह का product पहले से ही बनाती थी| और Movicol से inspire होकर Parekar ने इसका नाम Fevicol रख दिया और उन्हें तरक्की मिल गई क्यूंकी आम जनता की problems को देखते हुए अगर आप कोई business शुरू करते हैं तो वो कभी फेल हो ही नहीं सकता|