Dhruv की इस Courier company में हैं 99% deaf employees
Dhruv Lakra का जन्म Jammu में हुआ और उनका बड़ा सपना था कि वो एक champion swimmer बनें| लेकिन उनके घरवालों ने उनके इस सपने को पसंद नहीं किया| इसलिए उन्हें Oxford से Skoll programme for social entrepreneurship में MBA की डिग्री लेनी पड़ी| पढ़ाई ख़त्म होने के बाद उन्होनें एक firm में investment consultant की नौकरी शुरू कर दी| एक दिन public transport bus से सफ़र करते हुए उन्होनें एक लड़के को देखा जो पूरे सफ़र में दिक्कतों का सामना करता रहा| Dhruv को ये समझने में काफ़ी वक़्त लगा कि वह लड़का deaf है| उस लड़के को bus के कंडक्टर को अपना destination बताने में दिक्कत हो रही थी इसलिए उसने एक paper chit पर लिखकर कंडक्टर को बताया कि उसे कहाँ जाना है ताकि कंडक्टर उसे वहाँ की टिकेट दे सके|
एक deaf लड़के को समाज़ के सामने इस तरह मुश्किलों में देखते हुए Dhruv ने सोच लिया कि वो society के deaf लोगों के लिए कुछ ज़रूर करेंगे| उन्होनें voiceless लोगों के उपर एक research की और पाया कि भारत में 6 million से भी ज़्यादा लोग इस बीमारी के शिकार हैं| उन्होनें ठान लिया कि वह इन लोगों के लिए कोई ऐसा venture शुरू करेंगे, जिससे इन लोगों को रोज़गार मिल सके| इसके चलते उन्होनें deaf लोगों के traits समझे और sign language भी सीखी| इससे उन्होनें यह निष्कर्ष निकाला कि deaf लोगों के अंदर अच्छी map reading abilities होती हैं और उन्हें रास्ते जल्दी याद हो जाते हैं| इसलिए उन्होनें 2009 में Mumbai में Mirakle Couriers की शुरूवात की और आज इसकी 2 branch काम कर रहीं हैं|
Mirakle Courier के सभी employees deaf हैं और इनके delivery boy, Mumbai के public transport जैसे bus और train पर भरोसा करते हैं| मोबाइल फोन technology में बदलाव और text SMS जैसी सुविधाएँ यहाँ के field workers के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद साबित हुई हैं| साथ ही back office employees भी emails इस्तेमाल करने में trained हैं और यहाँ हर employee के लिए email etiquette training करना ज़रूरी है|
आज society के लोग Dhruv Lakra द्वारा बनाई गयी इस team को पूरा support करते हैं और इन्हें काफ़ी awards जैसे Echoing Green Fellowship 2009, Hellen Keller Award 2009 और National Award for the Empowerment of People with Disabilities 2010 से सम्मानित भी किया जा चुका है| Nek in India आशा करता है कि Dhruv Lakra अपने इस venture में आगे भी सफल हों और deaf community को Mumbai के बाहर भी रोज़गार मिले|