Drought- effected families के बच्चों को पढ़ाने के लिए Ashok ने अपनी high paying IT job छोड़ी
Ashok Deshmane, Maharashtra के Parbhani district के एक छोटे से गाँव Mangrul में एक किसान परिवार में पैदा हुए| उनका जीवन बड़ी कठिनाइयों से गुज़रा| उन्हें एक किसान के परिवार को होने वाली सभी तकलीफ़ों और दिक्कतों से वह खुद गुज़र चुके हैं| इसी की वजह से Ashok ने Snehwan शुरू किया, एक ऐसा NGO जो किसानों के बच्चों की पूरी ज़िम्मेदारी उठाता है|
Ashok के पिता को जब लगने लगा कि खेती से उनका गुज़ारा नहीं चलेगा तो उन्होनें सिलाई शुरू कर दी| अपने पिता की तरह बाकी किसानों की तकलीफ़ों को Ashok ने बहुत ही अच्छे से अपनी कविताओं में बताया है|
Ashok जानते थे कि किसानों की help करने के लिए पहले उन्हें खुद पढ़ना-लिखना सीखना पड़ेगा| अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उन्होने एक transport कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया| कड़ी मेहनत कर के Ashok ने Computer Science में अपना Bachelor पूरा कर लिया और बाद में उन्होनें Computer Science में अपना Master’s भी complete किया| इसके बाद ही उन्हें Pune की एक software company में well-paying job मिल गयी| उन्होनें गाँव आकर बच्चों की पढ़ाई में मदद करना जारी रखा| इतना ही नहीं, उन्होनें धीरे-धीरे weekends पर Pune में street-vendors के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया|
5 साल जॉब करना के बाद उन्होनें जॉब छोड़कर बच्चों को पूरा वक़्त देने का सोचा| लेकिन अपने बॉस के suggestion पर उन्होनें night-shift में काम करना जारी रखा| 2015 में उन्होनें अपना NGO Snehwan register करवा लिया| Ashok को लगा कि basic facilities के साथ-साथ बच्चों को emotional support की भी ज़रूरत है, इसलिए उन्होनें अपनी जॉब छोड़ दी|
Snehwan, उन बच्चों का घर और स्कूल बन चुका है जो सूखा-प्रभावित किसानों के बच्चे हैं| यहा 9-14 उम्र के 25 बच्चे हैं, जो पहले कभी स्कूल नहीं गये|
Ashok का devotion और hard-work रंग लाया| Snehwan के बच्चे आज पढ़, लिख और कंप्यूटर चला सकते हैं|
Ashok का मानना है कि education ही किस्मत की चाभी है| इसलिए वह अपनी पूरी ताक़त इन ग़रीब बच्चों को अच्छी से अच्छी opportunities देने में लगा रहे हैं, ताकि अपनी पढ़ाई के बल पर यह बच्चे अपने किसान परिवारों की ताक़त बन सकें|