78 साल का यह बूढ़ा Librarian लगभग 34 सालों से कर रहा है अपनी कमाई ज़रूरतमंदों को दान
Kalyanasundaram ने ‘charity’ शब्द को एक नया नाम दिया है| उन्होनें कभी शादी नहीं की और अपना गुज़ारा करने के लिए बहुत सी छोटी-मोटी jobs करी क्यूंकी एक librarian के तौर पर कमाए हुए पूरे रुपये उन्होनें दान कर दिए थे| यहाँ तक कि अपनी 10लाख रुपये की pension और 30crore रुपये भी उन्होनें दान में दे दिए|
कितनी बार हम लोग किसी ज़रूरतमंद के लिए अपनी जेब से पैसे निकालते हैं? क्या हम में से कोई भी ऐसे इंसान को रुपयों की मदद देगा जिसे वह जानता ही ना हो? शायद नहीं, किसी को 100 रुपये का नोट देने से पहले भी दो बार सोचेंगे ज़रूर|
कभी-कभी हम लोग किसी NGO में जाकर कुछ रुपये या सामान दान कर आते हैं ताकि हमारे मन को शांति मिल जाए कि हमने कुछ अच्छा काम किया है|
लेकिन बहुत कम ही लोग हैं जो ज़रूरतमंदों के पीछे अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देते हैं| ‘Paalam’ Kalyanasundaram उन्हीं में से एक हैं|
78 साल के इस बूढ़े librarian ने पिछले लगभग 34 सालों में अपनी कमाई हर महीने ग़रीबों को दान की है| तमिल नाडु के Melakarivelamkulam में जन्में Kalyanasundaram अपनी रोज़ी-रोटी कमाने के लिए छोटी-मोटी part-time job करते हैं, जबकि अपनी पूरी savings और regular income वह ज़रूरतमंदों को दान कर देते हैं|
वह अपनी कमाई का एक रुपय भी अपने पास नहीं रखते हैं और बहुत ही simple जिंदगी जीते हैं| अपनी महीने-भर की कमाई को वह बच्चों और ज़रूरतमंदों को दान कर देते हैं| हम लोग जहाँ एक आरामदायक और ऐशों-आराम की ज़िंदगी जीने के लिए काम करते हैं, वहीं यह आदमी कुछ अलग है| वह काफ़ी मेहनत करता है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमा कर दान कर सके| उन्होनें कभी शादी नहीं की क्यूंकी वह अपनी कमाई का पूरा पैसा ग़रीबों की मदद करने में लगाना चाहते थे| Librarian के पद से रिटाइर्ड होने के बाद उन्होनें अपनी pension के 10लाख रुपये भी दान कर दिए|
Kalyanasundaram जब 1 साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी, उनकी माँ ने ही उन्हें अकेले पाला और हमेशा ज़रूरतमंदों और ग़रीबों की मदद करने के लिए उन्हें प्रेरित किया| जैसे-जैसे वह बड़े हुए उनका रुझान ग़रीबों की मदद करने की तरफ़ हो गया|
वह Tamil में masters करना चाहते थे, लेकिन उस subject के लिए सिर्फ़ वही एक स्टूडेंट थे इसलिए college administration ने उनसे कोई दूसरा subject लेने को कहा पर उन्हें Tamil ही चाहिए था इसलिए उन्होनें हार नहीं मानी| MTT कॉलेज के founder ने जब उनका determination देखा तो उन्होनें Kalyanasundaram को अपने कॉलेज में admission दे दिया और उनके educational expenses भी खुद उठाए|
इतने मज़बूत इरादे रखने वाले Kalyanasundaram कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा| उनकी तीखी और पतली आवाज़ उनकी ख़ामी था, जिसकी वज़ह से उन्होनें suicide करने का मन बना लिया था| Self-improvement की books लिखने वाले writer Thamizhvaanan से हुई उनकी मुलाक़ात ने उनकी जिंदगी बदल दी और वह उनकी दी हुई advice “Don’t bother about how you speak. Strive to make others speak well about you” को follow करने लगे| इसके बाद उन्होनें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा|
45 साल तक उन्होनें बच्चों के लिए काम किया और अपने retirement के बाद उन्होनें और लोगों के लिए भी काम करने का सोच लिया| उन्होनें Palam नाम से एक organization बनाई, जहाँ donors ग़रीबों तक पहुँच सकें| यह organization लोगों से पैसा और सामान लेकर ज़रूरतमंदों तक पहुँचाने का काम करने लगी|
Library Science में Gold medalist और Literature और History में M.A, Kalyanasundaram को कई awards भी मिले और उसका पूरा पैसा जो कि 3crore था, वह भी उन्होनें ज़रूरतमंदों को दान कर दिया|